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    मुफ्त उपहार मुद्दा: राजनीतिक दलों को वादा करने से नहीं रोक सकते- सुप्रीम कोर्ट
    राजनीति

    मुफ्त उपहार मुद्दा: राजनीतिक दलों को वादा करने से नहीं रोक सकते- सुप्रीम कोर्ट

    लेखन गौसिया
    August 17, 2022 | 03:38 pm 1 मिनट में पढ़ें
    मुफ्त उपहार मुद्दा: राजनीतिक दलों को वादा करने से नहीं रोक सकते- सुप्रीम कोर्ट
    सुप्रीम कोर्ट राजनीतिक दलों को मुफ्त उपहार के वादे करने से नहीं रोक सकता

    सुप्रीम कोर्ट ने आज फिर से राजनीतिक दलों के चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त उपहार देने का वादा करने से संबंधित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि मामले में उठाए गए मुद्दे तेजी से जटिल होते जा रहे हैं और वह राजनीतिक दलों को मुफ्त उपहारों की बहस पर वादे करने से नहीं रोक सकती है। उसने कहा कि यहां चिंता जनता के पैसे को सही तरीके से खर्च करने की है।

    सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

    याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने कहा, "कल्याण प्रदान करना सरकार का कर्तव्य है। कोर्ट राजनीतिक दलों को मुफ्त उपहारों के वादे करने से नहीं रोक सकती है।" उन्होंने कहा कि मुफ्त उपहार में क्या होना चाहिए और क्या नहीं, इससे संबंधित मुद्दे गंभीर होते जा रहे हैं। CJI ने सवाल करते हुए कहा कि क्या कोर्ट इन मुद्दों की जांच करने के लिए सक्षम है।

    CJI ने पूछा- मुफ्त उपहार में क्या शामिल हो सकता और क्या नहीं

    CJI ने पूछा, "सही वादे क्या होते हैं? क्या मुफ्त शिक्षा, पीने का पानी और बिजली के वादे को एक मुफ्त उपहार के रूप में देखा जा सकता है? अभी चिंता इस बात की ज्यादा है कि जनता के पैसे खर्च करने का सही तरीका क्या है?" उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि पैसा बर्बाद हो गया है और कुछ कहते हैं कि यह जनता का कल्याण है।

    मामले में अगली सुनवाई चार दिन बाद होगी

    CJI ने आखिर में कहा, "राजनीतिक दलों द्वारा दिए गए वादे अकेले ही उक्त दलों के चुने जाने का आधार नहीं हैं। मतदाताओं से वादे करने के बाद भी कुछ दलों का चुनाव नहीं हुआ है। फिलहाल यह मामला बहस और चर्चा के बाद ही तय किया जाएगा।" कोर्ट ने मामले में राजनीतिक पार्टियों से 20 अगस्त तक सुझाव दाखिल करने के लिए कहा है। मामले की सुनवाई अगले हफ्ते 22 अगस्त को की जाएगी।

    याचिका में क्या कहा गया है?

    भाजपा के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने मुफ्त उपहारों से संबंधित यह याचिका दायर की है। उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि मुफ्त उपहारों के वादों को रिश्वत माना जाना चाहिए और इन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग को मुफ्त उपहारों का वादा करने वाली राजनीति पार्टियों के चुनाव चिन्ह जब्त करने और उनका पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया है।

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