
केदारनाथ धाम में मुलाकात के दौरान राहुल गांधी और वरुण गांधी में क्या बात हुई?
क्या है खबर?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी हाल ही में 3 दिन के केदारनाथ धाम के दौरे पर थे। इसी दौरान 'संयोगवश' उनके चचेरे भाई और भाजपा सांसद वरुण गांधी भी अपने परिवार के साथ धाम के दर्शन करने गए थे।
यहां पर दोनों भाइयों की मुलाकात हुई, जिसके बाद अटकलों का बाजार गर्म है। हालांकि, कहा जा रहा है कि दोनों के बीच किसी भी तरह की कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई।
मुलाकात
कैसे हुई दोनों भाइयों की मुलाकात?
रिपोर्ट के मुताबिक, 7 नवंबर को राहुल की केदारनाथ की यात्रा का आखिरी दिन था। वे लौटने की तैयारी में थे, तभी उनकी नजर वरुण पर पड़ी।
इसके बाद दोनों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया और मंदिर के पास स्थित बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के स्वागत कक्ष में करीब 40 मिनट तक बातचीत की। इसके बाद दोनों नेताओं ने भविष्य में एक-दूसरे से दोबारा मिलने के संकल्प के साथ विदाई ली।
बात
राहुल-वरुण के बीच क्या हुई बात?
सूत्रों के मुताबिक, राहुल और वरुण के बीच मुलाकात 'बहुत छोटी' और 'गर्मजोशी' भरी थी। राहुल ने इस दौरान वरुण की बेटी और अपनी भतीजी अनुसूईया को दुलारा और उसकी पढ़ाई-लिखाई और शौक के बारे में जाना।
राहुल ने अनुसूइया को अपनी यात्रा के दौरान खींची गई कुछ तस्वीरें भी दिखाईं। राहुल ने वरुण की पत्नी से भी बातचीत की।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये पूरी तरह से पारिवारिक मुलाकात थी और इसमें राजनीतिक चर्चा नहीं हुई।
कयास
मुलाकात से सियासी हलकों में अलग-अलग कयास
दोनों भाइयों की मुलाकात के बाद सियासी हलकों में अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की वजह से इन चर्चाओं को और जोर मिल रहा है।
हालांकि, दोनों भाइयों ने इस संबंध में अभी कुछ नहीं कहा है। राहुल और वरुण ने अपनी यात्रा की फोटो भी सोशल मीडिया पर साझा की है, लेकिन इसमें मुलाकात का कोई जिक्र नहीं है।
भाजपा
भाजपा की आलोचना कर रहे हैं वरुण गांधी
पिछले कुछ समय से वरुण कई मुद्दों पर अपनी ही पार्टी की आलोचना कर रहे हैं। हाल ही में अमेठी में संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने को लेकर उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोला था।
लखीमपुर खीरी हिंसा में भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा द्वारा वाहन से कुचलकर मारे गए किसानों की मौत पर भी वरुण ने भाजपा को घेरा था।
वरुण किसान आंदोलन का भी समर्थन कर चुके हैं।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
संजय गांधी के निधन के बाद मेनका गांधी और इंदिरा गांधी में मनमुटाव हो गया था। दरअसल, संजय को इंदिरा की राजनीतिक विरासत का वारिस माना जाता था, लेकिन उनके निधन के बाद राजीव गांधी को ये जिम्मेदारी मिली।
कहा जाता है कि ये बात मेनका को रास नहीं आई। विवाद बढ़ने के बाद मार्च, 1982 में इंदिरा ने मेनका को घर से बाहर निकाल दिया था। बाद में मेनका ने राजीव के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था।