प्रधानमंत्री का विपक्ष पर हमला, बोले- संसद न चलने देना संविधान, लोकतंत्र और जनता का अपमान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न आज संसद को न चलने देने के लिए विपक्ष पर करारा हमला किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष संसद, लोकतंत्र और जनता का अपमान कर रही है। प्रधानमंत्री ने भाषण छीनकर फाड़ने और "अपमानजनक " टिप्पणियां करने के मामले में भी विपक्ष पर निशाना साधा और कहा कि उन्हें अपने किए पर जरा सा भी पश्चाताप नहीं है। यह पिछले एक हफ्ते में दूसरी बार है जब प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर हमला बोला है।
क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी?
भाजपा सांसदों की बैठक में विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "विपक्ष के कारण (सदन का) बार-बार स्थगित होना संसद, संविधान, लोकतंत्र और जनता का अपमान है... दोनों सदनों में विपक्ष के कारनामों से संसद का अपमान हो रहा है। जिस व्यक्ति ने कागज छीनकर फाड़े, उसे अपने किए पर पछतावा भी नहीं है।" प्रधानमंत्री ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद के पापड़ी-चाट ट्वीट को भी अपमाजनक टिप्पणी बताया।
पिछले हफ्ते भी मोदी ने साधा था विपक्ष पर निशाना
इससे पहले पिछले मंगलवार को हुई भाजपा सांसदों की बैठक में भी प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष और कांग्रेस पर निशाना साधा था। उन्होने कहा था कि देश की सबसे पुरानी पार्टी संसद को चलने नहीं दे रही है। उन्होंने कांग्रेस पर गतिरोध को हल करन के प्रयासों को जानबूझकर ठुकराने का आरोप भी लगाया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने न केवल खुद कोविड-19 पर सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया, वहीं अन्य पार्टियों को आने से रोका।
विपक्ष ने भी तेज किया हमला, राहुल गांधी ने की बैठक
प्रधानमंत्री के इस हमले के बीच विपक्ष ने भी सरकार पर हमला तेज कर दिया है और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मानसून सत्र की रणनीति पर चर्चा करने के लिए आज विपक्षी नेताओं के साथ बैठक की। इस बैठक में तमाम बड़ी विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल हुए और इसमें 'मॉक पार्लियामेंट' चलाने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक के बाद राहुल पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के विरोध में साइकिल चलाकर संसद पहुंचे।
पेगासस जासूसी कांड आदि मुद्दों पर संसद नहीं चलने दे रहा है विपक्ष
गौरतलब है कि पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानून जैसे मुद्दों पर विपक्ष संसद नहीं चलने दे रहा है और उसके हंगामे के कारण मानसून सत्र के एक भी दिन संसद में काम नहीं हो पाया है। विपक्ष की मांग है कि सरकार मानसून सत्र में पेगासस जासूसी कांड पर चर्चा करे, लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है।
मानसून सत्र की अवधि कम कर सकती है सरकार
इस गतिरोध को देखते हुए सरकार मानसून सत्र की अवधि को कम कर सकती है। ये सत्र 13 अगस्त तक चलना है, लेकिन सरकार इसे पहले खत्म कर सकती है। एक केंद्रीय मंत्री ने कहा, "सरकार लोगों से जुड़े हर मामले पर चर्चा को तैयार है, लेकिन विपक्ष ऐसा नहीं चाहता। यह पैसे और समय की बर्बादी है। अगर सत्र को जल्दी खत्म किया जाता है तो कई इलाकों में कोरोना के बढ़ते मामले भी इसकी एक वजह होंगे।"