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    विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, कहा- अनियोजित वैक्सीनेशन से पैदा हो सकते हैं म्यूटेंट स्ट्रेन

    विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, कहा- अनियोजित वैक्सीनेशन से पैदा हो सकते हैं म्यूटेंट स्ट्रेन
    लेखन मुकुल तोमर
    Jun 11, 2021, 02:59 pm 1 मिनट में पढ़ें
    विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, कहा- अनियोजित वैक्सीनेशन से पैदा हो सकते हैं म्यूटेंट स्ट्रेन
    प्रधानमंत्री मोदी और वैक्सीनेशन

    सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कहा है कि एक साथ सबके और अनियोजित वैक्सीनेशन से कोरोना वायरस के म्यूटेंट स्ट्रेन पैदा हो सकते हैं। इन विशेषज्ञों ने सरकार से सबसे पहले अधिक जोखिम वाले समूहों का वैक्सीनेशन करने को कहा है और ऐसे ही कुछ अन्य सुझाव दिए हैं। पत्र लिखने वाले विशेषज्ञों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टर्स और कोविड-19 राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्य शामिल हैं।

    विशेषज्ञों ने क्या कहा?

    प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में विशेषज्ञों ने कहा है, "सामूहिक, अंधाधुंध और अधूरा वैक्सीनेशन नए म्यूटेंट स्ट्रेन पैदा कर सकता है। देश के विभिन्न हिस्सों में संक्रमण के तेज ट्रांसमिशन को देखते हुए वैक्सीनेशन की रफ्तार का प्राकृतिक संक्रमण के बराबर होना बहुत मुश्किल है।" विशेषज्ञों ने कहा है कि अभी सरकार की प्राथमिकता सभी को वैक्सीन लगाने की बजाय अधिक जोखिम वाली आबादी का वैक्सीनेशन करने पर होनी चाहिए।

    संक्रमित हो चुके लोगों को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं- विशेषज्ञ

    विशेषज्ञों ने कहा है कि सभी लोगों को एक साथ वैक्सीन लगाने पर संसाधन कम पड़ेंगे और ये इतना बंट जाएगा कि आबादी के स्तर पर कोई असर नहीं होगा। विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री से यह भी कहा है कि जो लोग पहले ही कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें वैक्सीन लगाने की कोई जरूरत नहीं है और प्राकृतिक संक्रमण के बाद वैक्सीनेशन के फायदे स्पष्ट होने के बाद उन्हें वैक्सीन लगाने पर विचार किया जा सकता है।

    विशेषज्ञ बोले- खास जगहों पर दी जा सकती है वैक्सीनेशन नीति में ढील

    विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री को यह सुझाव भी दिया है कि जिन इलाकों में किसी खास वेरिएंट की वजह से मामलों में वृद्धि देखी जा रही है, वहां वैक्सीनेशन नीति में कुछ ढील दी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर, जिन इलाकों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, वहां कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच के अंतराल को कम किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार का ध्यान मामलों की बजाय मौतें कम होने पर होना चाहिए।

    बेहतर वैक्सीनेशन के लिए स्थानीय स्तर पर सीरो सर्वे करने की सलाह

    विशेषज्ञों ने अपने पत्र में वैक्सीनेशन के बेहतर मार्गदर्शन के लिए स्थानीय स्तर पर सीरो सर्वे करने का सुझाव भी दिया है। उन्होंने कहा है, "अगर किसी जिले में सीरो पॉजिटिविटी 70 प्रतिशत से अधिक है तो वहां कोई भी लॉकडाउन नहीं होना चाहिए और सामान्य जीवन की तरफ लौटने के प्रयास करने चाहिए।" विशेषज्ञों ने नए वेरिएंट्स को समय पर पकड़ने के लिए कुल सैंपलों के 3 प्रतिशत की जीनोम सीक्वेंसिंग करने को भी कहा है।

    भारत में क्या है वैक्सीनेशन की स्थिति?

    16 जनवरी को वैक्सीनेशन अभियान शुरू होने के बाद से गुरूवार तक देशभर में कोरोना वैक्सीन की 24,60,85,649 खुराकें लग चुकी हैं। इनमें से 18,65,14,773 लोगों को कम से कम खुराक लग चुकी है, वहीं 4,62,71,709 लोग ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन की दोनों खुराकें लग चुकी हैं। वैक्सीनेशन की रफ्तार में थोड़ी तेजी आई है और अभी रोजाना 30 लाख से अधिक खुराकें लगाई जा रही हैं। गुरूवार को देश में 32,74,672 खुराकें लगाई गईं।

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