भाजपा ने रमेश बिधूड़ी को दी अहम जिम्मेदारी, विपक्ष बोला- नफरत भरी टिप्पणी का इनाम मिला
भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के संसद में आपत्तिजनक बयान के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस के बाद अब भाजपा ने उन्हें नई जिम्मेदारी दी है। उन्हें राजस्थान में टोंक जिले का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया है। ये कांग्रेस नेता सचिन पायलट का गढ़ माना जाता है। इस नियुक्ति को लेकर भाजपा विपक्ष के निशाने पर आ गई है। विपक्ष ने कहा है कि भाजपा ने बिधूड़ी को मुस्लिम सांसद के खिलाफ नफरत भरी टिप्पणी का इनाम दिया है।
विपक्ष ने कहा- 'सबका साथ, सबका विकास' है बकवास
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने बिधूड़ी को नई जिम्मेदारी दिए जाने पर कहा, "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास- यह सब इनकी बकवास है।" तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा ने एक्स पर लिखा, 'मैं जानती थी! रमेश बिधूड़ी को मुस्लिम सांसद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का इनाम मिला है। भाजपा द्वारा कारण बताओ नोटिस भेजे गए शख्स को नई भूमिका कैसे दी जा सकती है? भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी, क्या ये है अल्पसंख्यकों के लिए आपका प्यार?'
भाजपा ने बिधूड़ी को क्यों दी टोंक की जिम्मेदारी?
इस साल नवंबर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके लिए रमेश बिधूड़ी को टोंक जिले की जिम्मेदारी दी गई है। टोंक में अल्पसंख्यक आबादी के बाद गुर्जर सबसे अधिक हैं। भाजपा ने गुर्जर वोटबैंक को अपने पाले में करने के लिए ही अपने तेजतर्रार गुर्जर नेता बिधूड़ी के साथ-साथ सुखबीर जौनापुरिया को टोंक की जिम्मेदारी दी है। भाजपा की रणनीति टोंक में कांग्रेस नेता सचिन पायलट को घेरने की है।
रमेश बिधूड़ी ने संसद में की थीं असंसदीय टिप्पणियां
दक्षिणी दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी ने 22 सितंबर को लोकसभा में उत्तर प्रदेश के अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी (BSP) सांसद दानिश अली के खिलाफ भड़काऊ और नस्लीय टिप्पणी की थी। अली के टोकने पर बिधूड़ी ने उन्हें बाहर देखने की धमकी भी दी थी। उनके बयान के समय पीछे भाजपा सांसद हर्षवर्धन और रविशंकर प्रसाद हंसते हुए नजर आए थे। भाजपा ने बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा था।
न्यूजबाइट्स प्लस
बिधूड़ी का मामला विशेषाधिकार हनन से जुड़ा हुआ है। जब भी संसद सदस्यों द्वारा किसी अधिकार का दुरुपयोग किया जाता है तो इसे विशेषाधिकार हनन कहा जाता है। ऐसे मामलों की जांच के लिए विशेषाधिकार समिति होती है। हालांकि, ये स्पीकर पर निर्भर करता है कि वो मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजते हैं या नहीं। जांच के बाद समिति संसद को रिपोर्ट देती है। इस रिपोर्ट पर संसद मुहर लगाती है और सदस्य पर कार्रवाई की जाती है।