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श्रीनगर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से धक्का-मुक्की, गेट फांदकर शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए नौहट्टा कब्रिस्तान पहुंचे

श्रीनगर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से धक्का-मुक्की, गेट फांदकर शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे

लेखन गजेंद्र
Jul 14, 2025
02:30 pm

क्या है खबर?

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में सोमवार को उस समय एक बड़ा राजनीतिक ड्रामा देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को नौहट्टा क्षेत्र में शहीदों की कब्रिस्तान में प्रवेश करने से रोका गया। पहले अब्दुल्ला अपने समर्थकों के साथ पैदल ही कब्रिस्तान पहुंचे और गेट फांदकर अंदर चले गए। इसके बाद उनको पुलिस ने धक्का-मुक्की कर रोकने की कोशिश की। अब्दुल्ला ने इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किया है।

बयान

उमर अब्दुल्ला ने कहा, मैं मजबूत इंसान हूं

अब्दुल्ला ने घटना का वीडियो साझा कर लिखा, '13 जुलाई, 1931 के शहीदों की कब्रों पर श्रद्धांजलि अर्पित की और फातिहा पढ़ा। अनिर्वाचित सरकार ने मेरा रास्ता रोकने की कोशिश की और मुझे नौहट्टा चौक से पैदल चलने पर मजबूर किया। उन्होंने नक्शबंद साहिब दरगाह का दरगाह बंद कर दिया और मुझे दीवार फांदने पर मजबूर किया। मुझे शारीरिक रूप से पकड़ने की कोशिश की गई, लेकिन मैं ज्यादा मजबूत इंसान हूं और मुझे रोका नहीं जा सका।'

ट्विटर पोस्ट

मुख्यमंत्री के साथ हुई धक्का-मुक्की

ट्विटर पोस्ट

दीवार फांदकर अंदर जाते उमर अब्दुल्ला

घटना

क्या है 13 जुलाई 1931 की घटना?

जम्मू-कश्मीर में जून 1931 में डोगरा राजवंश के खिलाफ श्रीनगर के खानकाह-ए-मौला में अब्दुल कादिर ने उत्तेजक भाषण दिया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। वह श्रीनगर सेंट्रल जेल में बंद था, जिसके समर्थन में हजारों लोग जेल के बाहर जुटे और डोगरा शासन के खिलाफ नारेबाजी की। भीड़ को उग्र होता देखा गोली मारने के आदेश दिए गए। गोलीबारी में 22 नागरिक मारे गए, जिसमें सभी मुस्लिम थे। इस दिन को श्रीनगर में शहीद दिवस भी कहते हैं।

राजनीति

जम्मू-कश्मीर में शहीद दिवस को लेकर क्या चल रही है राजनीति

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हर साल 13 जुलाई को शहीद दिवस की वर्षगांठ पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों पर रोक लगा दी और राजनीतिक नेताओं को कार्यक्रम में जाने से रोक दिया। आरोप है कि कई नेशनल कॉन्फ्रेंस नेताओं को रविवार को नजरबंद तक किया गया। बता दें, 2020 में उपराज्यपाल सिन्हा ने केंद्र शासित प्रदेश में राजपत्रित छुट्टियों की सूची से शहीद दिवस को हटा दिया था, जिसकी आलोचना हुई थी। यह जम्मू-कश्मीर का संवेदनशील मुद्दा है।