उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद
अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और दो बार के लोकसभा सांसद जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भाजपा मुख्यालय में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलवाई। इससे पहले प्रसाद ने गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की थी। जितिन प्रसाद को गांधी परिवार के करीबियों में शुमार किया जाता रहा है।
बहुत सोच-समझकर लिया फैसला- प्रसाद
भाजपा का दामन थामने के बाद प्रसाद ने कहा कि यह उनके राजनीतिक जीवन का नया चैप्टर शुरू हो रहा है। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के रहने वाले प्रसाद ने कहा, "कांग्रेस के साथ मेरा तीन पीढ़ियों का साथ रहा है। यह फैसला मैंने बहुत सोच-समझकर लिया है। सवाल यह नहीं है कि मैं किस पार्टी को छोड़कर आ रहा हूं। सवाल यह है कि मैं किस पार्टी में और क्यों जा रहा हूं।"
भाजपा में शामिल होने के बाद जेपी नड्डा से मिले प्रसाद
केवल भाजपा ही संस्थागत पार्टी- प्रसाद
प्रसाद ने कहा कि वो कांग्रेस में रहकर लोगों के लिए काम नहीं कर पा रहे थे। अब वो भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता के तौर पर अपने काम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर आज इस देश में कोई संस्थागत पार्टी है तो वो भाजपा है। बाकी पार्टियां किसी व्यक्ति या क्षेत्र विशेष की बनकर रह गई है। प्रसाद ने 2019 लोकसभा चुनावों से पहले भी कांग्रेस छोड़ने की धमकी थी, लेकिन तब उन्हें मना लिया गया था।
क्या हैं इसके सियासी मायने?
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले भाजपा का प्रसाद को अपने कुनबे में शामिल करना पार्टी की चुनावी तैयारियों की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि जितिन प्रसाद ब्राह्मण चेहरा है और उनको शामिल कर भाजपा उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों को संदेश देना चाहती है कि पार्टी उनके साथ है। दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए अहम नेता का जाना बड़ा झटका है।
कैसा रहा है जितिन का सियासी सफर?
दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाले जितिन प्रसाद ने 2001 में युवा कांग्रेस के साथ सियासी सफर की शुरुआत की थी। 2004 लोकसभा चुनाव में वो जीत दर्ज कर सांसद बने। साल 2008 में मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया। 2009 के लोकसभा में चुनावों में वो एक बार फिर धौरहरा सीट से जीतकर सांसद बने। हालांकि, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें जीत हासिल नहीं हो सकी।
आलाकमान से नाराज चल रहे थे प्रसाद
2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के वक्त जितिन प्रसाद को उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तब से ही जितिन प्रसाद पार्टी आलाकमान से खफा हैं। इसके अलावा प्रसाद उन 23 नेताओं की सूची में शामिल हैं, जिन्होंने पार्टी के कामकाज के तरीके से असंतुष्ट होकर सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। प्रदेश इकाई ने इस पर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।