दिल्ली हिंसा 2020 के आरोपी ताहिर हुसैन को 6 दिन की पैरोल, नहीं जा सकेंगे घर
क्या है खबर?
दिल्ली में 2020 में हुई हिंसा के आरोपी ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कड़ी शर्तों के साथ 6 दिन की पैरोल दी है। पैरोल के दौरान हुसैन चुनाव प्रचार करेंगे।
हुसैन दिल्ली के विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद सीट से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के उम्मीदवार हैं।
हुसैन को 29 जनवरी से 3 फरवरी तक सुबह तिहाड़ जेल से छोड़ा जाएगा और शाम को प्रचार थमते ही वापस जेल लाया जाएगा। उनके साथ पुलिस बल रहेगा।
पैरोल
घर नहीं जा सकेंगे हुसैन, पार्टी दफ्तर में रहना होगा
सुप्रीम कोर्ट ने हुसैन को पैरोल देते समय कड़ी शर्तें लगाई हैं। जेल से बाहर आने पर हुसैन को सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रतिदिन 2 लाख रुपये का अग्रिम भुगतान करना होगा।
हुसैन सुबह से शाम 6 बजे तक अपने विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करेंगे और वापस जेल आ जाएंगे। इस दौरान वे करावल नगर स्थित अपने घर नहीं जा सकेंगे।
वे न तो प्रेस से मुखातिब होंगे और न ही हिंसा से जुड़े मामले पर को बयान देंगे।
सुनवाई
कोर्ट ने हुसैन को राहत देते हुए क्या कहा?
जमानत पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संजय करोल और संदीप मेहता थे। उन्होंने कहा कि हुसैन की राहत को मिसाल के तौर पर नहीं ले सकते।
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि इससे गलत संदेश जाएगा और हर कैदी बाहर आने के लिए चुनाव लड़ेगा।
बता दें, पिछले हफ्ते 2 न्यायाधीश की पीठ ने विभाजित फैसला सुनाया, जिसके बाद इसे 3 सदस्यीय पीठ में भेजा गया।
चुनाव
हुसैन का किससे है मुकाबला
पूर्वोत्तर दिल्ली के मुस्तफाबाद सीट पर हुसैन का मुकाबला आम आदमी पार्टी (AAP) के अदील अहमद खान, भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट और कांग्रेस के अली मेहंदी से है।
हुसैन पहले AAP से विधायक थे, जिन्हें दिल्ली दंगे में शामिल होने के आरोप के बाद पार्टी से निकाल दिया गया। वे पिछले साल AIMIM में शामिल हुए थे।
पिछली बार यह सीट AAP के हाजी यूनुस ने जीती थी। इस बार मुकाबला काफी कड़ा है।
हिंसा
क्या है दिल्ली हिंसा 2020 का मामला?
दिल्ली में नागरिकता कानून को लेकर चल रहे विरोध-प्रदर्शन के बीच 24 फरवरी, 2020 को समर्थकों और प्रदर्शनकारियों का झगड़ा शुरू हो गया था।
इसके बाद पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठीं, जिसमें करीब 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हुए।
पुलिस ने जून 2020 में 2 आरोपपत्र दाखिल किए, जिसमें एक में हुसैन को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया।
हुसैन पर दंगे के दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का भी आरोप है।