दिल्ली: विधानसभा सत्र पर उपराज्यपाल ने जताई आपत्ति, केंद्र के विवादित कानून पर होनी है चर्चा
क्या है खबर?
दिल्ली विधानसभा सत्र को लेकर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आमने-सामने हैं। उपराज्यपाल ने आज से शुरू हुए 2 दिवसीय विधानसभा सत्र पर आपत्ति जताई है।
इस विशेष सत्र में उस केंद्रीय कानून पर तीखी बहस होने की संभावना है, जिसने राष्ट्रीय राजधानी में अधिकारियों की पोस्टिंग और तबादलों का अधिकार उपराज्यपाल को दे दिया है।
विपक्ष पार्टी भाजपा ने भी विधानसभा सत्र में चर्चा के विषय को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
विधानसभा
विधानसभा उपाध्यक्ष बोलीं- उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखा था पत्र
दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष राखी बिड़ला ने कहा कि उपराज्यपाल ने 11 अगस्त को मुख्यमंत्री केजरीवाल को लिखे पत्र में अपनी आपत्ति व्यक्त की थी, जिसकी एक प्रति विधानसभा को भी दी गई थी।
उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल ने अपने पत्र में कहा था कि विधानसभा सत्र नियमों के अनुसार नहीं बुलाया जा रहा है और एक सत्र को स्थगित नहीं किया जाता है, बल्कि एक सत्र कई हिस्सों में चलाया जाता है।
विधानसभा
सत्र बुलाना विधानसभा का विशेषाधिकार- विधानसभा उपाध्यक्ष
विधानसभा उपाध्यक्ष बिड़ला ने कहा, "दिल्ली विधानसभा पूरी तरह से नियमों के तहत चल रही है। यह विधानसभा का विशेषाधिकार है कि सत्र कब बुलाना है। उपराज्यपाल ने गंभीर आरोप लगाया है। उन्हें पता होना चाहिए कि जब तक कैबिनेट इसकी सिफारिश नहीं करती, तब तक नया सत्र नहीं बुलाया जा सकता है।"
उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम में बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र जैसा कोई प्रावधान नहीं है और इस तरह सत्र बुलाने की कोई अनिवार्यता नहीं है।"
विपक्ष
नेता प्रतिपक्ष बोले- दिल्ली से जुड़े मुद्दों पर हो चर्चा
दिल्ली विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और भाजपा विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी कहा कि दिल्ली सरकार अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर के मसले पर सदन में परिचर्चा कराना चाहती है, जो पूरी तरह से तय नियमों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, "मैंने विधानसभा से आग्रह किया कि उन्हें 10 दिन का सत्र बुलाना चाहिए। हमारे सभी विधायकों ने 12 नोटिस दिए हैं। हमने सत्र में दिल्ली से जुड़े मुद्दों पर चर्चा चाहते हैं।"
केंद्र
दिल्ली सेवा अधिनियम को राष्ट्रपति ने भी दी मंजूरी
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023, जिसे दिल्ली सेवा अधिनियम के रूप में जाना जाता है, उसे संसद ने मानसून सत्र में पारित किया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इसे मंजूरी दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने पोस्टिंग और तबादले के अधिकार दिल्ली सरकार को दिए थे, जिसे अधिनियम ने बदल दिया।
केजरीवाल ने इस अधिनियम को असंवैधानिक बताते हुए केंद्र सरकार पर पिछले दरवाजा से दिल्ली की सत्ता हथियाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।