दिल्ली: रात 9:30 बजे तक इंतजार करते रहे मंत्री, बैठक में नहीं पहुंचे मुख्य सचिव- रिपोर्ट
क्या है खबर?
दिल्ली सरकार के निर्देशों पर विचार करने को लेकर मंगलवार को सिविल सेवा बोर्ड (CSB) की एक अहम बैठक होनी थी, जो मुख्य सचिव नरेश कुमार की व्यस्तता के चलते नहीं हो पाई।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक के लिए विभागीय मंत्री सौरभ भारद्वाज रात 9:30 बजे तक सचिवालय में बोर्ड के दो अन्य सदस्यों के साथ इंतजार करते रहे, लेकिन मुख्य सचिव नहीं आए।
ये सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद बोर्ड की पहली बैठक थी।
मामला
क्या है मामला?
11 मई को दिल्ली के विभागीय मंत्री भारद्वाज ने सेवा विभाग में सचिव के रूप में कार्यरत IAS आशीष मोरे का ट्रांसफर आदेश जारी किया था। उनकी जगह IAS अनिल कुमार सिंह को नियुक्ति दी गई थी। इन आदेशों पर अभी तक अमल नहीं हुआ है।
मोरे के तबादले का आदेश CSB से परामर्श के प्रोटोकॉल का पालन किए बिना पारित किया गया था, जो IAS अधिकारियों के तबादले से संबंधित मामलों को देखता है। इसी कारण बैठक होनी थी।
जानकारी
ट्रांसफर आदेश पर होना था फैसला
मुख्य सचिव कुमार की अध्यक्षता में ही CSB की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सेवा सचिव मोरे के ट्रांसफर पर फैसला लिया जाना था, लेकिन मुख्य सचिव बैठक में नहीं पहुंचे।
चेतावनी
सरकार ने विभागीय सचिव मोरे को जारी किया था नोटिस
विभागीय सचिव मोरे अपने ट्रांसफर के आदेश के बाद सचिवालय से अनुपस्थित चल रहे थे। इसके मद्देनजर आम आदमी पार्टी (AAP) की दिल्ली सरकार ने मोरे को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 24 घंटे के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी।
इसके बाद मोरे कल सचिवालय पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मानने और अपने स्थान पर नए अधिकारी की नियुक्ति को औपचारिक रूप से आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे।
केजरीवाल
केजरीवाल ने अधिकारियों को दी थी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था, "दिल्ली में बहुत जल्द बड़ा प्रशासनिक फेरबदल देखने को मिलेगा और सावर्जनिक कार्यों में बाधा डालने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जबकि काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को मौका दिया जाएगा।"
उन्होंने कहा था कि कोर्ट के आदेश से स्पष्ट है कि केंद्र के पास दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
सुप्रीम
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिए थे। कोर्ट ने कहा कि सेवाओं पर केंद्र सरकार का नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार का अधिकार है।
कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार का अपने अधीन अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं होगा तो वो ठीक से काम नहीं करेंगे और सरकार की बात नहीं मानेंगे। साथ ही कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करना होगा।