AAP के समर्थन में उतरी कांग्रेस, पोस्टिंग पर केंद्र के अध्यादेश का करेगी संसद में विरोध
कांग्रेस ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश का विरोध करने का फैसला किया है। बतौर रिपोर्ट्स, कांग्रेस दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार का समर्थन करते हुए संसद में इस अध्यादेश को कानून बनाने के लिए लाए जाने वाले विधेयक का विरोध करेगी। गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी पार्टियों से अध्यादेश के विरोध में समर्थन मांगा था।
कांग्रेस नेताओं ने केंद्र के अध्यादेश पर जताई चिंता
NDTV के मुताबिक, कांग्रेस के शीर्ष नेता केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कमजोर करने और लोकतंत्र को नष्ट करने के प्रयासों के बारे में चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि अध्यादेश के तहत मुख्यमंत्री को 3 सदस्यीय प्राधिकरण में मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव के बराबर रखते हुए 3 में से 1 वोट दिया गया है, जो लोकतांत्रिक तौर पर चुनी हुई सरकार की शक्तियों को कमजोर करता है।
विपक्ष का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। केजरीवाल ने रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ मुलाकात की थी। केजरीवाल अध्यादेश पर चर्चा करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ भी मुलाकात करेंगे।
केंद्र के अध्यादेश में क्या कहा गया है?
केंद्र सरकार ने शुक्रवार देर रात को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 जारी किया था। केंद्र सरकार के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विशेष स्थिति को ध्यान में रखते हुए और स्थानीय और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक हितों को संतुलित करने के लिए प्रशासन की एक योजना तैयार की गई है। इसके तहत ट्रांसफर और पोस्टिंग समेत अन्य प्रासंगिक मामलों से संबंधित मामलों के बारे में उपराज्यपाल (LG) को सिफारिश करने के लिए एक स्थायी प्राधिकरण बनाया गया है।
स्थायी प्राधिकरण में कौन-कौन?
अध्यादेश के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में प्राधिकरण बनाया गया है, जिसमें दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव भी शामिल होंगे। प्राधिकरण द्वारा तय किए जाने वाले सभी मामले बहुमत से तय किए जाएंगे। दिल्ली के LG प्राधिकरण के फैसले से सहमत नहीं होने की स्थिति में पुनर्विचार के लिए फाइलों को दोबारा प्राधिकारण के पास वापस भी भेज सकते हैं। हालांकि, राय में अंतर होने पर LG का निर्णय ही अंतिम होगा।
केंद्र सरकार क्यों लाई है अध्यादेश?
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 11 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि सेवाओं पर केंद्र सरकार का नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार का अधिकार है और LG को दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करना होगा। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के असर को खत्म करने के लिए यह अध्यादेश लेकर आई है, जिससे दिल्ली के LG को उनकी शक्तियां वापस मिल सकेंगी।