#NewsBytesExplainer: मनीष सिसोदिया पर जासूसी के आरोपों का पूरा मामला क्या है?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को जासूसी के आरोपों में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ जांच की मंजूरी दे दी है। CBI ने गृह मंत्रालय से सिसोदिया पर केस चलाने की अनुमति मांगी थी। उन पर फीडबैक यूनिट (FBU) के जरिये जासूसी कराने का आरोप है। आइए जानते हैं कि जासूसी का ये मामला क्या है और इसमें सिसोदिया पर किन-किन लोगों की जासूसी कराने का आरोप लगा है।
मामले की शुरुआत कैसे हुई?
इस पूरे मामले की शुरुआत 2015 में हुई। तब केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाली भ्रष्टाचार रोधी शाखा (ACB) का नियंत्रण सरकार से छीनकर उपराज्यपाल को सौंप दिया था। इसके बाद दिल्ली सरकार ने उसके सतर्कता विभाग के अंतर्गत एक नई जांच एजेंसी बनाई, जिसे फीडबैक यूनिट (FBU) नाम दिया गया। इसका काम दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले विभागों, संस्थानों और निकायों की निगरानी करना और इनमें होने वाले कामकाज का फीडबैक देना था।
मनीष सिसोदिया पर क्या आरोप हैं?
मनीष सिसोदिया उस सतर्कता विभाग के प्रमुख हैं, जिसके अंतर्गत FBU आता है। आरोप है कि उनके और दिल्ली सरकार के इशारे पर इस फीडबैक यूनिट ने विपक्षी दलों के नेताओं की जासूसी की। 2016 में एक अधिकारी ने इसकी शिकायत CBI से की थी। इसके बाद शुरूआती जांच की गई। 12 जनवरी, 2023 को CBI ने सतर्कता विभाग में रिपोर्ट दाखिल कर सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की।
CBI को जांच में क्या मिला?
CBI ने फरवरी से सितंबर, 2016 तक के FBU के कामकाज की जांच की। इसमें सामने आया कि FBU जिन मामलों पर काम कर रही है, उनमें से 40 प्रतिशत राजनीतिक हैं और इनका सरकार के कामकाज से कोई लेना-देना नहीं है। इसके अलावा 60 प्रतिशत मामले ऐसे व्यक्तियों की जासूसी या निगरानी से जुड़े पाए गए, जिनका संबंध आम आदमी पार्टी (AAP), भाजपा या किसी और राजनीतिक पार्टी से था। उसने इससे राजनीतिक हित प्रभावित होने की आशंका जताई।
FBU के गठन और कामकाज पर भी उठे सवाल
CBI ने FBU के गठन और कामकाज के तरीके पर भी कई सवाल उठाए हैं। उसने कहा कि यूनिट के गठन और काम करने के तरीके से सरकारी खजाने को लगभग 36 लाख रुपये का नुकसान हुआ है और FBU की स्थापना के लिए कोई प्रारंभिक मंजूरी भी नहीं ली गई थी। CBI ने कहा कि जिन मामलों की जांच FBU कर रही है, उनमें से कई उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं।
उपराज्यपाल का मामले पर क्या कहना है?
मामले में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 9 फरवरी को CBI को सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज करने की मंजूरी दे दी थी। उन्होंने कहा था कि FBU का गठन उपराज्यपाल की अनुमति के बिना किया गया था और इसकी कोई विधायी या न्यायिक निगरानी नहीं है। बता दें कि सतर्कता विभाग ने अनुमति के लिए अगस्त, 2016 में दो बार तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग के पास फाइल भेजी थी, हालांकि उन्होंने दोनों बार इसे खारिज कर दिया।
आरोपों पर सिसोदिया का क्या कहना है?
मामले में CBI जांच की मंजूरी मिलने के बाद सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा, 'अपने प्रतिद्वंदियों को झूठे केस में फंसाना कमजोर और कायर इंसान की निशानी है। जैसे-जैसे आम आदमी पार्टी बढ़ेगी, हम पर और भी बहुत केस किए जाएंगे।' वहीं AAP ने कहा, 'हमारे ऊपर लगे सभी आरोप फर्जी हैं। CBI, दिल्ली पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों ने हमारे खिलाफ करीब 163 मुकदमे दर्ज किए हैं। हालांकि, केंद्र सरकार एक भी मामला साबित नहीं कर पाई है।'
क्या अन्य किसी नेता पर भी लगा है जासूसी का आरोप?
ये पहली बार नहीं है जब भारतीय राजनीति में किसी नेता पर जासूसी का आरोप लगा है। 2019 में ही पेगासस जासूसी कांड हुआ था। इसमें नरेंद्र मोदी सरकार पर जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए भारत में करीब 1,400 लोगों की जासूसी का आरोप लगा था। इनमें सरकार के कई विरोधी शामिल थे। इससे पहले 2013 में कोबरापोस्ट और गुलेल डॉट कॉम ने मोदी के कहने पर एक युवती की गैरकानूनी तरीके से जासूसी किए जाने का दावा किया था।