#NewsBytesExplainer: कर्नाटक में क्या हैं जातीय समीकरण और कौन से समुदाय निभाते हैं अहम भूमिका?
क्या है खबर?
कर्नाटक चुनाव में करीब एक महीने का समय शेष बचा है। राज्य में कुल 225 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 224 सीटों पर 10 मई को चुनाव होगा। एक सीट मनोनीत सदस्य के लिए आरक्षित हैं।
देश के अन्य राज्यों की तरह कर्नाटक में भी जातिगत और धार्मिक समीकरण राजनीतिक पार्टियों की चुनावी हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। यहां लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों का बहुत प्रभाव है।
आइए कर्नाटक के जातीय समीकरणों के बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं।
प्रतिशत
कर्नाटक में किसकी कितनी आबादी?
2011 की जनगणना के अनुसार, कर्नाटक की कुल जनसंख्या 6.11 करोड़ है। इसमें से 23 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), 20 प्रतिशत दलित, 17 प्रतिशत लिंगायत, 16 प्रतिशत मुस्लिम, 12 प्रतिशत वोक्कालिगा, 5 प्रतिशत आदिवासी, 4 प्रतिशत ब्राह्मण और 3 प्रतिशत ईसाई हैं।
इस चुनाव में अनुसूचित जातियों के लिए 36 और अनुसूचित जनजातियों के लिए 15 सीटें आरक्षित रखी गई हैं, इसलिए चुनाव में जातिगत समीकरणों को साधना सभी पार्टियों के लिए बहुत जरूरी है।
प्रभाव
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का बड़ा प्रभाव
कर्नाटक में अनुसूचित जातियों के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव लिंगायत समुदाय का है। राज्य के अब तक के 23 मुख्यमंत्रियों में से 10 मुख्यमंत्री इसी समुदाय के रहे हैं।
भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा इसी समुदाय से आते हैं, वहीं मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समाज से हैं।
इस समुदाय से वर्तमान में 57 विधायक हैं, जिनमें से 37 सत्तारूढ़ भाजपा के हैं। चुनाव में लिंगायत समुदाय भाजपा के पक्ष में खड़ा नजर आता है।
राजनीति
वोक्कालिगा समुदाय भी मजबूत
कर्नाटक में लिंगायत के बाद वोक्कालिगा समुदाय का राजनीतिक रूप से काफी प्रभाव है। जनता दल (सेक्युलर) प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा इसी समाज से आते हैं, जिसकी आबादी राज्य में 12 प्रतिशत के करीब है।
इस समाज से जुड़े लोग जनता दल सेक्युलर और कांग्रेस को वोट देते आए हैं, लेकिन इस बार चुनाव में कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
भाजपा इसका फायदा उठा सकती है और उसने उनका आरक्षण भी बढ़ाया है।
OBC
OBC वोट बैंक पर किसका प्रभाव?
कर्नाटक में OBC का चुनाव में काफी प्रभाव देखने को मिलता है। OBC में अकेले कुरुबा जाति की जनसंख्या 7 प्रतिशत है, जबकि बाकि OBC की कुल आबादी 16 प्रतिशत है।
कुरुबा समाज पारंपरिक रूप से भेड़ पालन से जुड़ा हुआ है और कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया इसी समाज से हैं। इसके अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और भाजपा के कई नेता भी OBC समाज से हैं।
कर्नाटक में OBC वोट बैंक बिखरा हुआ रहता है।
मुस्लिम वोट
चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक कितना महत्वपूर्ण?
राज्य में मुस्लिम आबादी 16 प्रतिशत है और उनका वोट निर्णायक भूमिका निभाता है। चुनाव में कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) को मुस्लिम वोट मदद मिलती है और सालों से मुस्लिम मतदाता दोनों पार्टियों को वोट देते आए हैं।
भाजपा को मुस्लिम वोट मिलने की बेहद कम उम्मीद है और राज्य सरकार ने मुस्लिम को मिलने वाले 4 प्रतिशत आरक्षण को खत्म कर दिया है।
इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी कर सकती है।
चुनाव
पिछले चुनाव में क्या रहे थे नतीजे?
2018 कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को 104, कांग्रेस को 80 और JD(S) को 37 सीटें मिली थीं। चुनाव के बाद कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने मिलकर सरकार बनाई और एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने।
हालांकि, जुलाई, 2019 में कांग्रेस के कई विधायकों के इस्तीफे के बाद सरकार गिर गई। इसके बाद भाजपा ने येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाई। जुलाई, 2021 में येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और बोम्मई नए मुख्यमंत्री बने।