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एलर्जी आपको फेफड़ों के कैंसर से रख सकती है सुरक्षित, अध्ययन में हुआ खुलासा

एलर्जी आपको फेफड़ों के कैंसर से रख सकती है सुरक्षित, अध्ययन में हुआ खुलासा

लेखन सयाली
Jul 21, 2025
03:16 pm

क्या है खबर?

भारत में एलर्जी एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या है। लगभग 20-30 प्रतिशत आबादी कम से कम एक एलर्जी से जूझ रही है। वैसे तो ये लोगों की परेशानियां बढ़ा देती हैं, लेकिन क्या हो जब आपको पता लगे की आपकी एलर्जी आपकी सुरक्षा कर रही हैं? एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि एलर्जी फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकती हैं। आइए इसके विषय में विस्तार से जानते हैं।

अध्ययन

चीन में किया गया यह अहम अध्ययन

इस अध्ययन को 'फ्रंटियर्स इन मेडिसिन' नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसे चीन स्थित जिलिन कैंसर अस्पताल, चांगचुन चीनी चिकित्सा विश्वविद्यालय और तियानजिन चिकित्सा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पूरा किया है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एलर्जी संबंधी बीमारियों और फेफड़ों के कैंसर के विकास के जोखिम के बीच संबंधों की जांच की है। यह इसलिए जरूरी था, क्योंकि फेफड़ों का कैंसर इस बीमारी के सबसे खतरनाक प्रकारों में से एक है।

संबंध

एलर्जी और फेफड़ों के कैंसर के बीच क्या है संबंध?

एलर्जी संबंधी बीमारियों और फेफड़ों के कैंसर के जोखिम का संबंध एलर्जी के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होता है। अस्थमा का इतिहास फेफड़ों के कैंसर के उच्च जोखिम से जुड़ा है, जबकि एलर्जिक राइनाइटिस या एक्जिमा का इतिहास बीमारी के जोखिम को कम कर सकता है। एक पुराने अध्ययन के मुताबिक, एलर्जी इम्यूनोग्लोबुलिन ई (IE) को बढ़ाकर फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को कम कर सकती है, जो अवस्था की घातक कोशिकाओं को खत्म करने में मदद कर सकती है।

प्रक्रिया

पुराने अध्ययनों का भी किया गया था विश्लेषण

शोधकर्ताओं ने फेफड़ों के कैंसर के जोखिम के साथ AR और एक्जिमा के संबंधों का मेटा-विश्लेषण किया। सबसे पहले उन्होंने पुराने अध्ययनों को ढूंढने के लिए वेब ऑफ साइंस, एमबेस, कोक्रेन लाइब्रेरी और पबमेड डेटाबेस पर खोज-बीन की थी। चयनित अध्ययनों से प्रतिभागियों के परीक्षण और परिणाम वाला डाटा इखट्टा किया गया। अध्ययनों की गुणवत्ता का आकलन करने और उन्हें निम्न, मध्यम या उच्च गुणवत्ता के रूप में विभाजित करने के लिए न्यूकैसल-ओटावा पैमाने का उपयोग किया गया था।

जांच 

226 में से 10 अध्ययनों का हुआ था चयन

खोज के जरिए 226 अध्ययन मिले थे और कई समीक्षाओं के बाद मेटा-विश्लेषण के लिए 10 का चयन किया गया था। इनमें से 8 केस-कंट्रोल और 2 कोहोर्ट अध्ययन थे, जिनमें कुल मिलाकर 38 लाख से ज्यादा प्रतिभागी शामिल थे। AR और एक्जिमा का निदान सीरम IgE माप या प्रश्नावली के माध्यम से किया गया था। फेफड़ों के कैंसर का निदान पैथोलॉजिकल हिस्टोलॉजी या अंतरराष्ट्रीय रोग वर्गीकरण (ICD) का उपयोग करके किया गया था।

नतीजे

क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?

अध्ययन में विश्लेषण लिंग, एलर्जी के प्रकार और भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर किया गया था। सामने आया कि एक्जिमा और फेफड़ों के कैंसर के जोखिम के बीच कोई महत्वपूर्ण संबंध नहीं पाया गया। इसके विपरीत, AR और फेफड़ों के कैंसर के जोखिम के बीच नकारात्मक संबंध पाए गए। एलर्जिक राइनाइटिस फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को 26 प्रतिशत कम करता है। हालांकि, एक्जिमा फेफड़ों के कैंसर के इलाज में कोई मदद नहीं करता है।