मेनोपॉज के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं ये 5 योगासन
क्या है खबर?
मेनोपॉज कोई बीमारी नहीं, बल्कि यह महिलाओं के शरीर में होने वाला एक प्राकृतिक बदलाव है, जो 45 से 55 साल की उम्र में होता है।
पीरियड्स का अनियमित या बंद होना, चिड़चिड़ापन और बालों का झड़ना मेनोपॉज के लक्षण हैं। इसके अतिरिक्त वजन बढ़ना भी इसके मुख्य लक्षणों में शामिल है।
अगर आपको भी मेनोपॉज है तो इसके लक्षणों का प्रभाव कम करने के लिए इन 5 योगासनों को नियमित अभ्यास करें।
#1
जानुशीर्षासन
जानुशीर्षासन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की स्थिति में बैठ जाएं और फिर दाएं घुटने को मोड़ते हुए बाईं जांघ के सहारे लगा लें।
अब अपने शरीर को आगे की तरफ झुकाएं और बाएं पैर के अंगूठे को दोनों हाथों से पकड़ने की कोशिश करें।
इसी मुद्रा में अपने सिर को घुटनों से छूने की कोशिश करें। इस योग से मेनोपॉज का प्रभाव कम करने में मदद मिल सकती है।
#2
सुप्त बद्धकोणासन
इसके लिए योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और दोनों हाथों और पैरों को अपनी क्षमतानुसार फैला लें।
अब पैरों को घुटनों से मोड़कर अपने दोनों तलवों को आपस में मिला लें।इस दौरान अपनी दोनों आंखों को बंद करके सामान्य गति से सांस लेते रहें।
कुछ सेकंड के बाद आसन को धीरे-धीरे छोड़ दें।आप चाहें तो अपनी पीठ के नीचे सपोर्ट के लिए कोई मुलायम तकिया भी रख सकते हैं।
यहां जानिए सुप्त बद्धकोणासन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
#3
अधोमुख श्वानासन
सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
अब सामने की तरफ झुकते हुए अपने हाथों को जमीन पर रखें और गहरी सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाएं। इस दौरान घुटनों को सीधा करके सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
इस योगासन में शरीर का पूरा भार हाथों और पैरों पर होना चाहिए और शरीर का आकार 'V' जैसा नजर आना चाहिए।
कुछ मिनट इसी अवस्था में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
#4
सेतुबंधासन
सेतुबंधासन करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और फिर हथेलियों को नीचे की ओर सीधा रखें।
अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर कूल्हों के पास ले आएं।अब कूल्हों को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं और इस दौरान हाथ जमीन पर रखें।
ऐसा करते हुए सांस अंदर लें और फिर सांस छोड़ते हुए वापस से सामान्य स्थिति में आ जाएं।
#5
वृक्षासन
सबसे पहले योगा मैट पर दोनों पैरों को आपस में जोड़े और सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। फिर शरीर का संतुलन बनाते हुए हाथों की मदद से बायां तलवा दायीं जांघ पर रख लें।
अब अपने हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए नमस्कार की अवस्था में आ जाएं।
थोड़ी देर इसी अवस्था में रहकर धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में आएं और थोड़ी देर शरीर को आराम देकर आसन को दोहराएं।