विश्व शेर दिवस: जानिए इस दिन का इतिहास, इसे मनाने का कारण और इसका महत्व
क्या है खबर?
दुनियाभर में शेरों को अक्सर 'जंगल का राजा' कहा जाता है, लेकिन इनको जंगल में कई खतरों का सामना करना पड़ रहा है।
इन खतरों में वनों की कटाई, अवैध शिकार, मनुष्यों के साथ संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और कमी के कारण निवास स्थान का नुकसान शामिल हैं।
इसी कारण शेरों के संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर हर साल विश्व शेर दिवस मनाया जाता है।
आइए इस दिवस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
तारीख
कब है यह दिवस?
हर साल 10 अगस्त को विश्व शेर दिवस मनाया जाता है।
यह दिन दुनियाभर में शेरों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए मनाया जाता है।
इसके अलावा यह दिवस शेरों के संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देने और दुनियाभर के पारिस्थितिक तंत्र में उनके महत्व का जश्न मनाने के एक मंच के रूप में कार्य करता है।
इतिहास
विश्व शेर दिवस का इतिहास
विश्व शेर दिवस की शुरुआत पहली बार साल 2013 में बिग कैट रेस्क्यू द्वारा की गई थी, जो शेरों को समर्पित दुनिया का सबसे बड़ा अभयारण्य है। इसकी सह-स्थापना डेरेक और बेवर्ली जौबर्ट ने की थी, जोकि पति-पत्नी थे।
उन्होंने जंगल में रहने वाले शेरों की रक्षा के लिए नेशनल ज्योग्राफिक और बिग कैट इनिशिएटिव दोनों को एक ही बैनर के तहत लाने की पहल शुरू की और तब से 10 अगस्त को विश्व शेर दिवस मनाया जाता है।
महत्व
विश्व शेर दिवस मनाना क्यों महत्वपूर्ण है?
विश्व शेर दिवस शेरों और उनकी संरक्षण आवश्यकताओं पर प्रकाश डालकर जंगल में इन जानवरों का भविष्य सुनिश्चित करने के लिए समर्थन और कार्रवाई जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शेरों के संरक्षण की तत्काल आवश्यकता है, इसलिए इस दिन का उद्देश्य लोगों को पारिस्थितिक तंत्र में शेरों के महत्व और उनके सांस्कृतिक महत्व के बारे में शिक्षित करना है।
तरीके
इस दिवस को कैसे मनाया जा सकता है?
फोटोग्राफी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए विश्व शेर दिवस का जश्न मनाया जा सकता है।
इस दिन कई संगठन, वन्यजीव संरक्षण समूह और चिड़ियाघर शेर दिवस से जुड़े अभियानों में भाग लेते हैं या इस दिन का उपयोग शेर संरक्षण और अवैध शिकार विरोधी परियोजनाओं के लिए धन जुटाने के लिए करते हैं।
शेरों, उनके व्यवहार, खतरों और संरक्षण रणनीतियों के बारे में जानकारी देने के लिए इस दिन अक्सर कार्यशालाएं, सेमिनार, वेबिनार और सार्वजनिक वार्ता आयोजित की जाती हैं।