इन तीन आसान कदमों से रोका जा सकता है कोरोना का प्रकोप, स्टडी में आया सामने
क्या है खबर?
अगर लोग नियमित तौर पर हाथ धोते हैं, मास्क पहनते हैं और एक-दूसरे से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखते हैं तो कोरोना वायरस के संक्रमण को बिना वैक्सीन के भी नियंत्रित किया जा सकता है।
एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है। स्टडी में कहा गया है कि अगर लोग इन तीन आसान कदमों का पालन करते हैं तो बिना किसी वैक्सीन या इलाज के कोरोना वायरस के प्रकोप को रोका जा सकता है।
स्टडी
50 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का ऐहतियात कम कर सकता है संक्रमण
एक मेडिकल जर्नल में छपी स्टडी में कोरोना वायरस से संक्रमण और और इससे बचाव के तरीकों को देखने के लिए एक नए मॉडल का सहारा लिया गया है।
CNN के मुताबिक, स्टडी करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग ऐहतियात बरतते हैं तो बड़ी बीमारी के प्रकोप को रोका जा सकता है।
अगर लोग धीरे-धीरे कर अपनी आदतों में बदलाव लाए तो महामारी के मामलों में कमी आ सकती है।
स्टडी
तीन महीने का लॉकडाउन सात महीने आगे कर सकता है पीक
स्टडी के अनुसार, अगर सरकारें महामारी की शुुरुआत में लॉकडाउन जैसे कदम उठाती हैं, लेकिन लोग कोई ऐहतियात नहीं बरतते हैं तो इससे संक्रमण की पीक आगे बढ़ सकती है, लेकिन कम नहीं होगी।
तीन महीने के लिए उठाए गए ऐसे कदम संक्रमण की पीक को सात महीने आगे कर सकते हैं।
बता दें, किसी भी संक्रामक बीमारी में पीक का मतलब होता है कि उसके मामलों की संख्या एक बिंदु पर पहुंचकर कम होनी शुरू हो जाती है।
जानकारी
सरकारों के कदमों के साथ लोगों को भी सावधान रहना जरूरी
वहीं अगर सरकार सोशल डिस्टेंसिंग को जरूरी बनाने के साथ लोगों को जागरूक करे और लोग खुद ऐहतियात बरते तो संक्रमण की पीक को कम किया जा सकता है। यानी ऐसे कदमों के सहारे संक्रमण के मामलों की कम संख्या पर रोका जा सकता है।
स्टडी
सरकारों और नागरिकों की सहभागिता जरूरी
शोधकर्ताओं का कहना है कि सरकार के कदमों के साथ व्यक्तिगत ऐहतियातों से और फायदा हो सकता है।
स्टडी में कहा गया है कि अगर किसी देश के 90 प्रतिशत लोग हाथ नियमित तौर पर हाथ धोते और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं तो कोरोना वायरस के बड़े प्रकोप को रोका जा सकता है।
हालांकि, घरों में या एक साथ रहने वाले लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर सकते, ऐसे में थोड़े-बहुत मामले सामने आ सकते हैं।
जानकारी
लोगों की जागरुक करने की जरूरत- स्टडी
शोधकर्ताओं का कहना है कि सरकारों को लोगों को वायरस के फैलने के तरीकों के बारे में जागरूक करते हुए उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ धोने और मास्क लगाने की जरूरी भूमिका के बारे में बताना चाहिए।
सीमाएं
स्टडी के मॉडल में इन बातों को नहीं किया गया शामिल
हालांकि, स्टडी के लिए इस्तेमाल किए गए मॉडल की कुछ सीमाएं भी हैं।
यह मॉडल न तो जनसांख्यिकी के आधार पर तैयार किया गया है और न ही इसमें उन लोगों को शामिल किया गया है, जो आइसोलेशन में रहते हुए उनका ध्यान रख रहे लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
साथ ही इस किसी मरीज के एक बार ठीक होने के बाद दोबारा संक्रमित होने की संभावनाओं को भी नहीं जोड़ा गया है।
कोरोना वायरस
दुनियाभर में क्या है संक्रमण की स्थिति?
वैक्सीन पर रिसर्च और तमाम स्टडीज के बीच दुनियाभर में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, अलग-अलग देशों में अब तक 1.52 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें से 6.23 लाख की मौत हो चुकी है।
सर्वाधिक प्रभावित देश अमेरिका में 39.70 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और 1.43 लाख लोगों की मौत हुई है।
वहीं भारत में भी संक्रमितों की संख्या 12 लाख से पार हो गई है।