जानिए पित्ताशय में पथरी होने के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय
क्या है खबर?
लीवर के ठीक नीचे थैली के आकार का एक अंग होता है जिसे पित्ताशय कहा जाता है। यह अंग खाने को पचाने में मदद करता है।
जब इस थैली में जरूरत से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है तो वह पथरी का रूप ले लेता है जिसके कारण असहनीय दर्द, सूजन और कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है।
आइए आज हम आपको इस समस्या से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं ताकि आप समय रहते इससे बच सकें।
कारण
पित्ताशय में पथरी होने के कारण
मोटापे के कारण पित्ताशय में पथरी हो सकती है।
गलत खान-पान भी पित्ताशय में पथरी का कारण बन सकता है।
बोन मेरो और ऑर्गन ट्रांसप्लांट भी इस समस्या का कारण बन सकता है।
अधिक उम्र के व्यक्तियों को भी पित्ताशय में पथरी का खतरा रहता है।
मधुमेह से जूझ रहे व्यक्ति को भी पित्ताशय में पथरी होने की संभवाना रहती है।
लीवर सिरोसिस और पित्ताशय पथ के संक्रमण से भी यह समस्या हो सकती है।
लक्षण
पित्ताशय में पथरी के लक्षण
पेट की दाहिनी ओर ऊपरी भाग में असहनीय दर्द होना और दर्द का काफी समय तक लगातार बने रहना पित्ताशय में पथरी का मुख्य लक्षण हो सकता है।
इसके अतिरिक्त पेट में भारीपन, पेट का फूलना, मतली और उल्टी का अनुभव होना भी इस समस्या के लक्षण हो सकते हैं।
इसी के साथ बुखार और पीलिया जैसी समस्याएं होना भी इस बात की ओर इशारा करती हैं कि पित्ताशय में पथरी है।
निदान
पित्ताशय में पथरी का कैसे पता लगाया जा सकता है?
अगर आपको खुद में पित्ताशय की पथरी से जुड़े लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर आपको पेट का अल्ट्रासाउंड या पेट का CT स्कैन कराने की सलाह दे सकते हैं।
इसके अलावा डॉक्टर आपको एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलएंजियोपैन्क्रीआटोग्राफी टेस्ट कराने का निर्देश भी दे सकते हैं। यह टेस्ट पित्ताशय की नलिकाओं में रुकावट पैदा करने वाले पत्थरों का पता लगाने के लिए होता है।
गॉलब्लैडर रेडियोन्यूक्लाइड स्कैन से भी पित्ताशय में पथरी का पता चलता है।
बचने के उपाय
पित्ताशय में पथरी से बचाव के उपाय
ज्यादा तले-भूने खाद्य पदार्थ और अधिक मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें। बेहतर होगा अगर आप डाइट में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
फलों और हरी सब्जियों के सेवन से इस समस्या से बचा जा सकता है।
पित्ताशय में पथरी को उत्पन्न होने से रोकने के लिए रोजाना कुछ मिनट योगाभ्यास और व्यायाम करना चाहिए।
समय से सोना और समय से उठना भी इस समस्या को दूर रख सकता है।