NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    नरेंद्र मोदी
    राहुल गांधी
    एशिया कप क्रिकेट
    #NewsBytesExclusive
    #NewsBytesExplainer
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout


    देश राजनीति दुनिया बिज़नेस खेलकूद मनोरंजन टेक्नोलॉजी करियर अजब-गजब लाइफस्टाइल ऑटो एक्सक्लूसिव विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
     
    होम / खबरें / लाइफस्टाइल की खबरें / क्या कांच की बोतलों में पीने का पानी रखना सुरक्षित है? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
    क्या कांच की बोतलों में पीने का पानी रखना सुरक्षित है? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
    लाइफस्टाइल

    क्या कांच की बोतलों में पीने का पानी रखना सुरक्षित है? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

    लेखन प्रदीप मौर्य
    September 19, 2020 | 03:32 pm 1 मिनट में पढ़ें
    क्या कांच की बोतलों में पीने का पानी रखना सुरक्षित है? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

    प्लास्टिक से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को देखते हुए कई लोगों ने पीने का पानी कांच की बोतलों में रखना शुरू कर दिया है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कांच की बोतलें या कंटेनर सुरक्षित हैं? ज्यादातर लोगों को इसकी सही जानकारी नहीं है, जिसकी वजह से वे फैसला नहीं ले पाते। आज हम आपको बताएंगे कि कांच की बोतलों में पानी रखना सुरक्षित है या नहीं और इसके बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं।

    कांच की कुछ बोतलें, प्लास्टिक की तुलना में होती है अधिक हानिकारक

    भारत के पहले प्रमाणित जल परिचालक VEEN Waters के भारत एवं भारतीय उपमहाद्वीप के संचालन प्रमुख गणेश अय्यर के अनुसार, कई बार कांच की कुछ बोतलें, PET या प्लास्टिक की तुलना में अधिक हानिकारक होती हैं।

    ऐसी स्थिति में कांच की बोतलों में पानी रखना होता है असुरक्षित

    उन्होंने आगे कहा, "कांच की बोतलें विभिन्न ग्रेड में उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें से सभी मिनरल वाटर या अन्य पेय पदार्थों को रखने के लिए अच्छी नहीं है।" उदाहरण के लिए आपके पास जो कांच की बोतल है, अगर वो टूटी-फूटी कोटिंग के साथ हो या उसमें कांच का छोटा टुकड़ा टूटकर पड़ा हो जो आंख से दिखाई न दे, तो उस स्थिति में कांच की बोतल में पानी रखना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है।

    इस तरह की कांच की बोतलें होती हैं पूरी तरह सुरक्षित

    कुछ कांच की बोतलों में लेड, कैडमियम और क्रोमियम जैसे जहरीले तत्त्वों की मात्रा पाई जाती है, लेकिन आकर्षक आकार और रंगीन आवरण देखकर ग्राहक समझ नहीं पाते हैं और छले जाते हैं। अय्यर के अनुसार, पीने का पानी रखने के लिए ऐसी कांच की बोतलों का इस्तेमाल करना चाहिए, जो फार्मास्यूटिकल ग्रेड या फ्लिंट ग्लास टाइप-III की हों। ऐसी बोतलें पूरी तरह से सुरक्षित होती हैं।

    हर स्थिति में कांच की बोतलें हैं बेहतर

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी स्थिति में कांच की बोतलें पीने का पानी रखने के लिए PET या प्लास्टिक की बोतलों से ज्यादा सुरक्षित होती हैं। इसकी कुछ वजहें हैं, जिनके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।

    मिनरल्स संरक्षित रहते हैं, पर्यावरण को नहीं होता है नुकसान

    कांच की बोतलों में पानी रखने से मिनरल्स संरक्षित रहते हैं और पानी हमेशा ताजा रहता है। इससे स्वास्थ्य को कई फायदे होते हैं। इसके अलावा कांच की बोतलों को दोबारा गलाकर नई बोतलें बनाई जा सकती हैं, जबकि प्लास्टिक की बोतलें महासागरों में या यहां-वहां फेंक दी जाती हैं, जिन्हें अपघटित होने में 450 वर्ष से ज्यादा समय लगता है। इस तरह कांच की बोतलों से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है।

    पानी का तापमान स्थिर रहता है, साफ करने में होती है आसानी

    ठंड का मौसम हो या गर्मी का, कांच की बोतलें अपने तापमान को स्थिर बनाए रखने में सक्षम होती हैं। इस तरह कांच की बोतल में रखे पेय पदार्थ के फ्लेवर और उसके रंग में कोई बदलाव नहीं होता है। इसके अलावा कांच की बोतलों का रख-रखाव और उनकी साफ-सफाई आसान होती है। जिससे संक्रमण होने का खतरा कम रहता है और स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होता है। जबकि PET या प्लास्टिक की बोतलों के साथ ऐसा नहीं है।

    दूषित होने का खतरा न के बराबर

    PET या प्लास्टिक की बोतल से पानी पीते समय अक्सर आपने एक अलग गंध या स्वाद का अनुभव किया होगा। दरअसल, जब बोतल गर्मी और आर्द्रता के संपर्क में आती है तो BPA जैसे हानिकारक जहरीले तत्व छोड़ती है, जिससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। वहीं, कांच की बोतलों के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं होती है और उसमें रखे पानी के दूषित होने का खतरा न के बराबर होता है। इसलिए कांच की बोतलें हर तरह से सुरक्षित हैं।

    ज्यादातर प्लास्टिकों का होता है केवल एक बार इस्तेमाल

    जानकारी के अनुसार, 30 अलग-अलग प्रकार के प्लास्टिक में से केवल सात प्रकार के प्लास्टिक हैं, जिनको दोबारा इस्तेमाल करके कुछ बनाया जा सकता है। ज्यादातर प्लास्टिक एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिए जाते हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

    इस खबर को शेयर करें
    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    सम्बंधित खबरें
    स्वास्थ्य
    लाइफस्टाइल
    प्लास्टिक प्रतिबंध

    स्वास्थ्य

    छोटी-छोटी झपकियां लेना स्वास्थ्य के लिए है फायदेमंद, जानिए कैसे लाइफस्टाइल
    कई पोषक तत्वों से समृद्ध होता है पनीर, जानिए इसके सेवन से मिलने वाले फायदे लाइफस्टाइल
    कूर्मासन: स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है इस योगासन का अभ्यास, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें योग
    धनुरासन: स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है इस योगासन का अभ्यास, जानिए इससे जुड़ी अहम बातें योग

    लाइफस्टाइल

    त्वचा को कई तरह के फायदे पहुंचाती है फेस मसाज, जानिए कैसे त्वचा की देखभाल
    फेस मास्क का इस्तेमाल करते समय भूल से भी न करें ये गलतियां त्वचा की देखभाल
    इन सेलिब्रिटी कपल्स का फैशन सेंस है बेहद जबरदस्त बॉलीवुड समाचार
    इन गलतियों की वजह से समय से पहले सफेद हो सकते हैं आपके बाल बालों की समस्या

    प्लास्टिक प्रतिबंध

    इस कैफे में प्लास्टिक का कचरा लाइये, चाय-कॉफी और नाश्ता पाइये गुजरात
    अनोखी पहल: इस शहर में प्लास्टिक के बदले मिलेंगे पिज़्जा-बर्गर छत्तीसगढ़
    इस IAS अधिकारी ने खुद पर लगाया पांच हजार रुपये का जुर्माना, जानें क्यों महाराष्ट्र
    सिंगल-यूज प्लास्टिक पर रोक: सिगरेट के टुकड़ों और थर्माकोल पर भी लगेगा प्रतिबंध केंद्र सरकार
    अगली खबर

    लाइफस्टाइल की खबरें पसंद हैं?

    नवीनतम खबरों से अपडेटेड रहें।

    Lifestyle Thumbnail
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार कांग्रेस समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स दक्षिण भारतीय सिनेमा भाजपा समाचार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive ट्रैवल टिप्स यूक्रेन युद्ध मंकीपॉक्स द्रौपदी मुर्मू
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2023