कोरोना वायरस: क्या है इम्युन सिस्टम और वैक्सीन के काम करने का तरीका?
कोरोना वायरस (COVID-19) की वैक्सीन बनाने में जुटे वैज्ञानिकों ने दुनिया को नई उम्मीद दिखाई है। कई वैक्सीन ट्रायल के अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं और अभी तक प्रभावी साबित हुई हैं। वैक्सीन एक जटिल प्रक्रिया से तैयार होकर बनने वाली दवा होती है जो हमारे शरीर के जटिल इम्युन सिस्टम पर काम करती है। आज हम आपको हमारे शरीर के इम्युन सिस्टम और वैक्सीन के काम करने के तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं।
इम्युन सिस्टम क्या होता है?
यह कोशिकाओं, अंगों और उन प्रक्रियाओं का एक जटिल तंत्र हैं, जो बैक्टीरिया, वायरस और ट्रांसप्लांट किए गए अंगों समेत बाहरी तत्वों की पहचान करता है। हमारा शरीर किसी भी बाहरी तत्व की पहचान के लिए इस तंत्र पर निर्भर होता है ताकि वह इसके प्रति बचाव के लिए तैयार हो सके। इम्युन सिस्टम भी शरीर के बचाव के लिए दो तरीकों से काम करता है ताकि हमलावर तत्व को आगे बढ़ने से रोका जा सके।
इम्युन सिस्टम कैसे काम करता है?
जब कोई वायरस या बैक्टीरिया हमारे शरीर में जाता है तो इम्युन सिस्टम इन्नेट रिस्पॉन्स शुरू करता है। यह संक्रमण के कुछ घंटों के भीतर ही वायरस के शरीर से बाहर निकाल देता है। इसलिए कई मामलों में संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आते। जब इन्नेट रिस्पॉन्स किसी वायरस का सामना नहीं कर पाता तो थोड़े दिन बाद इम्युन सिस्टम का एडेप्टिव रिस्पॉन्स काम शुरू करता है। यह T और B सेल्स के साथ मिलकर वायरस का मुकाबला करता है।
ये काम करती हैं T और B सेल्स
कुछ T सेल्स खुद ही पहचान कर संक्रमित हो चुकी कोशिकाओ को मार देती हैं, वहीं B सेल्स एंटीबॉडी बनाने में मदद करती है। एक खास तरह की न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी वायरस के साथ चिपक जाती है और उसे दूसरी कोशिकाओं में घुसने से रोकती है।
वैक्सीन कैसे काम करती है?
वैक्सीन के जरिये हमारे इम्युन सिस्टम में कुछ मॉलिक्यूल्स, जिन्हें वायरस का एंटीजंस भी कहा जाता है, भेजे जाते हैं। आमतौर पर ये एंटीजंस कमजोर या निष्क्रिय रूप में होते हैं ताकि हमें बीमार न कर सकें, लेकिन हमारा शरीर इन्हें गैरजरूरी समझकर एंटीबॉडीज बनानी शुरू कर देता है ताकि उनसे हमारी रक्षा कर सके। आगे चलकर अगर हम उस वायरस से संक्रमित होते हैं तो एंटी-बॉडीज वायरस को मार देती हैं और हम बीमार होने से बच जाते हैं।
कैसे तैयार की जा रही कोरोना वायरस की वैक्सीन?
कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के लिए अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन में तीन कंपनियां परंपरागत तरीके से पहले वायरस को निष्क्रिय कर वैक्सीन तैयार कर रही है। वहीं कैनसिनो और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी जेनेटिकली इंजीनियर्ड एडेनोवायरस की मदद से वैक्सीन बनाने में जुटी हुई है। दूसरी तरफ अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना न्यूक्लिक एसिड के सहारे संभावित वैक्सीन पर काम कर रही है। जिस तकनीक से मॉडर्ना काम कर रही है, वह पहले कभी कामयाब नहीं हुई है।
क्या ये संभावित वैक्सीन कारगर साबित हुई हैं?
अभी तक जिन संभावित वैक्सीन के ट्रायल के नतीजे सामने आए हैं, उनमें पता चला है कि ये कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने में सफल हुई है, लेकिन यह वायरस से बचाव में सुरक्षित होंगी? यह तीसरे चरण के ट्रायल के बाद पता चलेगा।
क्या ये वैक्सीन लंबे समय तक इम्युनिटी दे पाएंगी?
आमतौर पर किसी वैक्सीन से मिली इम्युनिटी कुछ सालों बाद खत्म हो जाती है और फिर दूसरी खुराक की जरूरत होती है। चूंकि अभी तक कोरोना की वैक्सीन तैयार नहीं हुई है इसलिए इसकी इम्युनिटी को लेकर जानकारी उपलब्ध नहीं है। फिलहाल छह संभावित वैक्सीन अंतिम चरण में हैं। यह ट्रायल पूरा होने के बाद इससे जुड़ी जानकारी दुनिया के सामने होगी, लेकिन अगर इनकी इम्युनिटी कम समय के लिए होगी तो एक नई चुनौती सबके सामने होगी।
वैक्सीन आने में अभी कितना समय लगेगा?
अगर सब कुछ उम्मीद के मुताबिक रहा तो इस साल के अंत तक इस खतरनाक वायरस की वैक्सीन उपलब्ध होगी। फिलहाल कुल 29 वैक्सीन्स इंसानी ट्रायल के चरण में पहुंच चुकी हैं। इनमें से छह के अंतिम चरण के ट्रायल जारी हैं। माना जा रहा है कि अगले कुछ महीनों में इनके नतीजे आ जाएंगे, जिसके बाद इन्हें हरी झंडी मिल सकती है। वहीं अलग-अलग देशों की 138 संभावित वैक्सीन के प्री क्लिनिकल ट्रायल चल रहे हैं।