बादल फटने से मची तबाही; जानें ऐसा होने के कारण, प्रभाव और सावधानियां
क्या है खबर?
पिछले कुछ दिनों में भारत में कई जगह बादल फटने की घटनाएं हो चुकी हैं। केरल के वायनाड, उत्तराखंड के केदारनाथ और हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, शिमला और मंडी जिलों में बादल फटने से तबाही मच गई है।
इन घटनाओं से कई लोगों की जान गई है, कई घर तहस-नहस हो गए हैं और कई परिवार बिछड़ गए हैं। ऐसे में हम आपको बताएंगे बादल फटने के कारण और प्रभाव समेत सपूर्ण जरूरी जानकारी।
बादल फटना
क्या होता है बादल का फटना?
अचानक बहुत तेज और अधिक बारिश होने को बादल फटना कहा जाता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, अगर एक घंटे के भीतर 100mm या उससे अधिक बारिश होती है, तो इसे बादल फटना कहा जाता है।
इसे वैज्ञानिकी शब्दों में 'क्लाउडबर्स्ट' या 'फ्लैश फ्लड' भी कहा जाता है। सामान्य तौर पर जमीन की सतह से 12-15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होने वाली भारी बारिश की घटना को बादल का फटना माना जाता है।
कारण
आखिर क्यों फटते हैं बादल?
बादल फटने की घटना तब होती है, जब गर्म हवाएं बारिश की बूंदों को गिरने से रोकती हैं और बादलों का आकार बढ़ जाता है।
ये बादल असाधारण रूप से बड़े और नमी से भरपूर हो जाते हैं, तो ये पानी को ज्यादा देर तक रोक नहीं पाते हैं। इसके परिणामस्वरूप अचानक तेज बारिश होती है और बादल फट जाते हैं।
जलवायु परिवर्तन, वायुमंडलीय अस्थिरता और भौगोलिक विशेषताओं जैसे कारक ऐसे बादलों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रभाव
बादल फटने के होते हैं ये खतरनाक प्रभाव
बादल फटने का परिणाम विनाशकारी होता है। एक विशेष स्थान पर भारी मात्रा में बारिश होने से प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली और नदियां प्रभावित होते हैं, जिससे अचानक बाढ़ आ जाती है।
घर, सड़कें और फसलें तेजी से जलमग्न हो जाती हैं और तेजी से बहता पानी जन-जीवन को नष्ट कर देता है। इसके कारण भूस्खलन की घटनाएं भी होती हैं।
ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के परिणामस्वरूप जीवन की हानि और संपत्ति की क्षति हो सकती है।
ट्विटर पोस्ट
देखिए बादल फटने के कारण कुल्लू में ब्यास नदी का रौद्र रूप
#WATCH | River Beas flows furiously in Himachal Pradesh's Kullu as the state continues to receive heavy rainfall pic.twitter.com/g4h3I18i4Y
— ANI (@ANI) August 1, 2024
सावधानियां
बादल फटने पर बरतनी चाहिए ये सावधानियां
यह अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण होता है कि बादल कब और कहां फटेगा। हालांकि, इसके प्रभाव को कम करने के लिए कुछ सावधानियां बरती जा सकती हैं।
मजबूत और कुशल जल निकासी प्रणालियों के निर्माण से भारी वर्षा के दौरान अतिरिक्त जल प्रवाह को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा, मौसम के मिजाज पर नजर रखने और समय पर अलर्ट जारी करने से भी लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में जाने के लिए पर्याप्त समय मिल सकता है।