केरल के पांच रोमांचक हाइकिंग ट्रेल्स, एक बार जरूर करें इनका रुख
क्या है खबर?
भगवान के देश या भगवान की भूमि के रूप में जाना जाने वाला केरल भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है।
यह अपने समुद्र तट, हरे-भरे परिदृश्य और सुरम्य मौसम के कारण प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता है।
लेकिन अगर आपको एडवेंचर पसंद है तो भी यह आपको निराश नहीं करेगा। खासकर अगर आपको ट्रेकिंग पसंद है तो यहां रोमांचक हाइकिंग ट्रेल्स भी मौजूद हैं।
आइए केरल के पांच प्रमुख हाइकिंग ट्रेल्स के बारे में जानते हैं।
#1
टॉप स्टेशन
टॉप स्टेशन एक खूबसूरत हाइकिंग ट्रेल है।
यह नौ किलोमीटर लंबा है और इसे पूरा करने में आपको लगभग चार से पांच घंटे लग सकते हैं।
यह समुद्र तल से 6,170 फीट ऊपर है और यहां से कोट्टागुडी घाटी समेत कोलुक्कुमलाई और मीसापुलिमाला चोटियों के कुछ सुखद दृश्य देखे जा सकते हैं।
यह हाइकिंग ट्रेल पुराना है और शुरुआती लोगों के लिए एकदम सही है।
#2
इल्लिक्कल कल्लू
इल्लिक्कल कल्लू केरल में सबसे लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों में से एक है और यह जमीन से 4,000 फीट से अधिक ऊपर है।
यह तीन बड़ी चट्टानों का समूह है जो देखने में काफी अजीबोगरीब है।
यह जगह अपने शांत वातावरण और ताजी हवा के लिए प्रसिद्ध है। छह किलोमीटर लंबे इस रास्ते को पूरा करने में आपको करीब चार-पांच घंटे लग सकते हैं।
#3
कोलुक्कुमलाई पीक
कोलुक्कुमलाई पीक का मार्ग कठिनाई के मामले में मध्यम स्तर का है।
यहां की ट्रेकिंग कुरंगानी गांव से शुरू होती है और 7,120 फीट की ऊंचाई पर समाप्त होती है।
इसके अतिरिक्त यह रास्ता घास के मैदानों और जंगलों समेत दुनिया के सबसे ऊंचे चाय बागानों से गुजरता है जो जमीन से 6,680 फीट ऊपर हैं।
इस हाइकिंग ट्रेल की 11 किलोमीटर की दूरी तय करने में आपको सात घंटे लग सकते हैं।
#4
मीसपुलिमाला पीक
जमीन से 8,661 फीट की ऊंचाई पर स्थित मीसपुलिमाला चोटी सबसे चुनौतीपूर्ण हाइकिंग ट्रेल्स में से एक है।
यह चोटी पश्चिमी घाट का दूसरा सबसे ऊंचा शिखर है। आपको यहां रहने के लिए केरल वन विकास निगम से विशेष अनुमति की आवश्यकता होगी।
इस रास्ते के अंतिम दो किलोमीटर काफी कठिन हैं, इसलिए उसके लिए अपने आपको तैयार रखें।
#5
अगस्त्यार्कूदम पीक
अगस्त्यार्कूदम पीक केरल की सबसे ऊंची चोटी है।
यह सबसे अधिक रोमांचकारी रास्तों में से एक है और इस चढ़ाई केवल निडर लोग ही कर सकते हैं।
इसके लिए सख्त दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैं और इसका आरंभ करने के लिए आपको केरल वन और वन्यजीव विभाग (KFWD) से अनुमति की आवश्यकता होगी।
यह रास्ता 40 किलोमीटर लंबा है और इसे पूरा करने में आपको दो दिन लग सकते हैं।