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अत्यधिक प्यास लगना हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत

अत्यधिक प्यास लगना हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत

लेखन अंजली
Feb 01, 2021
06:00 pm

क्या है खबर?

कहते हैं किसी भी चीज की अति नुकसान का कारण बन सकती है और यह बात पानी पर भी लागू होती है, जो हमारे जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। अगर आपको जरूरत से ज्यादा प्यास लगती है या फिर आप बार-बार काफी मात्रा में पानी पीते हैं तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है। चलिए आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं।

बीमारी

इस गंभीर बीमारी का संकेत है अत्यधिक प्यास लगना

बहुत ज्यादा प्यास लगने की समस्या को चिकित्सा के क्षेत्र में 'पॉलीडिप्सिया' कहा जाता है। इस बीमारी के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति चाहें जितना भी पानी पी ले, उसकी प्यास नहीं बुझती है। इस वजह से उसके शरीर में सोडियम की कमी हो जाती है और स्थिति गंभीर हो जाती है। वैसे पॉलीडिप्सिया के अलावा कुछ अन्य बीमारियां भी हैं जिनका एक प्रमुख लक्षण अत्यधिक प्यास लगना है।

लक्षण

पॉलीडिप्सिया के मुख्य लक्षण

अगर कोई व्यक्ति पॉलीडिप्सिया की समस्या से ग्रस्त है तो उसमें मुख्य रूप से ये लक्षण देखे जाते हैं। 1) बार-बार पानी पीना 2) पानी पीने के बाद भी प्यास का न बुझना 3) मुंह का सूखना 4) मुंह से निकलने वाली लार या फिर थूक का गाढ़ा होना नोट: ये लक्षण डायबिटीज, डिहाईड्रेशन, एंग्जायटी या अपच आदि समस्याओं के भी हो सकते हैं, इसलिए इन्हें सिर्फ पॉलीडिप्सिया का लक्षण मानना सही नहीं है।

जानकारी

पॉलीडिप्सिया क्यों एक गंभीर समस्या है?

पॉलीडिप्सिया के कारण बहुत अधिक प्यास लगती है जिससे शरीर में रसायनों का संतुलन बिगड़ सकता है। शरीर पानी की अधिक मात्रा को झेल नहीं पाता है और इससे खून पतला हो जाता है। पॉलीडिप्सिया शरीर में सोडियम की कमी का कारण भी बन सकती है, जिससे शारीरिक अंगों और हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता है। ससे राहत पाने के लिए किसी भी घरेलू उपाय आदि पर विश्वास करने की बजाय डॉक्टरी जांच करवाएं।

इलाज

पॉलीडिप्सिया का इलाज संभव है?

जी हां, पॉलीडिप्सिया का इलाज संभव है। हालांकि इस बीमारी का इलाज उस स्थिति पर निर्भर करता है जो इसे पैदा करने का कारण है। इसलिए इसका इलाज किस प्रकार किया जाना है, यह डॉक्टर आपकी जांच करके ही तय कर सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर इलाज से पहले आपको कुछ प्रकार के टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं जिनमें ब्लड टेस्ट या फिर यूरिन टेस्ट आदि शामिल हो सकते हैं। इनकी रिपोर्ट के आधार पर इलाज होता है।