
पश्चिम बंगाल के 5 प्रमुख लोक नृत्य, जो त्योहारों और समारोहों में होते हैं प्रदर्शित
क्या है खबर?
पश्चिम बंगाल के लोक नृत्य अपनी जीवंतता और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए जाने जाते हैं। ये नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि बंगाली समाज की परंपराओं और कहानियों को भी जीवंत रखते हैं। इन लोक नृत्य में संगीत, नृत्यऔर अभिनय का अनोखा मिश्रण होता है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। आइए आज हम आपको पश्चिम बंगाल के पांच प्रमुख लोक नृत्य के बारे में बताते हैं।
#1
गंभीर नृत्य
गंभीर नृत्य एक पारंपरिक बंगाली नृत्य है, जो विशेष रूप से त्योहारों और धार्मिक उत्सवों के दौरान किया जाता है। यह नृत्य मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है और इसमें कठोर वेशभूषा और मेकअप होता है। गंभीर नृत्य में कलाकार भगवान शिव और अन्य देवताओं की कहानियों को दर्शाते हैं। इस नृत्य में कठोरता और शक्ति का प्रदर्शन होता है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
#2
बाउल नृत्य
बाउल नृत्य पश्चिम बंगाल का एक अनोखा लोक नृत्य है, जो साधुओं या बाउल फकीरों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह नृत्य भक्ति गीतों पर आधारित होता है, जिनमें प्रेम और आध्यात्मिकता की बातें होती हैं। बाउल गायक अपने साधना और अनुभवों को गीतों के माध्यम से व्यक्त करते हैं। बाउल नृत्य में साधकों की साधना और जीवनशैली का झलक दिखता है, जो दर्शकों को एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव से जोड़ता है।
#3
ब्रिता नृत्य
ब्रिता नृत्य पश्चिम बंगाल का एक पारंपरिक नृत्य है, जो मुख्य रूप से गांवों में किया जाता है। यह नृत्य फसल कटाई के समय होता है और इसमें पुरुष-महिलाएं दोनों भाग लेते हैं। ब्रिता नृत्य में रंग-बिरंगे कपड़े और पारंपरिक गहने पहने जाते हैं। इस नृत्य में कलाकार खेती के काम जैसे बुवाई, सिंचाई आदि को गीतों और नृत्य के माध्यम से दर्शाते हैं, जिससे यह उत्सव और खुशी का प्रतीक बन जाता है।
#4
छऊ
छऊ नृत्य पश्चिम बंगाल का एक युद्ध आधारित लोक नृत्य है, जो मुख्य रूप से झारखंड और ओडिशा सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रचलित है। इस नृत्य में कलाकार युद्ध कौशल जैसे तलवारबाजी, ढालबाजी आदि दिखाते हैं। छऊ नृत्य में रंग-बिरंगे कपड़े और मेकअप होता है, जो दर्शकों को आकर्षित करते हैं। इस नृत्य में कलाकार अपनी शारीरिक क्षमता और कौशल का प्रदर्शन करते हैं, जिससे यह दर्शकों को रोमांचित कर देता है।
#5
टुसू नृत्य
टुसू नृत्य पश्चिम बंगाल का एक प्रमुख लोक नृत्य है, जो मुख्य रूप से संक्रांति त्योहार पर किया जाता है। इस नृत्य में महिलाएं टुसू देवी की पूजा करती हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गीत गाती हैं। टुसू देवी फसलों की देवी मानी जाती हैं। इस दौरान महिलाएं पारंपरिक वस्त्र पहनकर गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं, जिससे यह उत्सव का प्रतीक बन जाता है।