बिहार: बोधगया के ये 5 मंदिर हैं बहुत प्रसिद्ध, एक बार जरूर करें यात्रा
बीते मंगलवार (23 जुलाई) को केंद्रीय बजट 2024 को पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि बिहार के गया में स्थित विष्णुपद मंदिर और बोधगया के महाबोधि मंदिर को गलियारे के रूप में विकसित किया जाएगा और प्राचीन शहर नालंदा को 'विश्व स्तरीय तीर्थस्थल' में बदल दिया जाएगा। इसके बाद से बोधगया काफी चर्चा में आ गया है, जो यूनेस्को की विश्वधरोहर सूची में भी शामिल है। आइए बोधगया के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानें।
विष्णुपद मंदिर
विष्णुपद मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इसमें भगवान विष्णु के पदचिह्न हैं, जो इसे हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बनाता है। भगवान विष्णु के पदचिह्न बेसाल्ट से बने एक बेसिन में स्थापित हैं। इसके अतिरिक्त मंदिर की वास्तुकला जटिल है और ऐतिहासिक मध्ययुगीन शैलियों का मिश्रण दिखाती है। इस मंदिर में विभिन्न अनुष्ठान और समारोह होते हैं, जिस कारण यह लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है।
महाबोधि मंदिर
महाबोधि मंदिर एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और यह ठीक उसी जगह को चिह्नित करता है, जहां के बोधि पेड़ के नीचे बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस मंदिर की भव्य संरचना लोगों को खूब भांति है और इसके परिसर के अंदर बोधि पेड़ स्थित है। इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में कई स्तूप, ध्यान कक्ष और एक शांत तालाब भी शामिल हैं। यहां जानिए बिहार के राजगीर में स्थित पर्यटन स्थल।
थाई मठ
थाई मठ को वाट थाई बुद्धगया के नाम से भी जाना जाता है। यह मठ थाईलैंड और बोधगया के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है। इसे एक प्रमुख बौद्ध मंदिर भी माना जाता है और इसकी सुंदर सुनहरी नक्काशी और वास्तुकला थाई शैली की है। इस मठ के परिसर में एक ध्यान कक्ष, बगीचा और पुस्तकालय शामिल हैं। यहां जानिए देश के 5 सबसे प्रसिद्ध मठ।
महान बुद्ध प्रतिमा
महान बुद्ध प्रतिमा भारत में सबसे ऊंची बुद्ध प्रतिमाओं में से एक है। यह 80 फीट ऊंचाई पर है और बलुआ पत्थर और लाल ग्रेनाइट से बनी है। इसमें बुद्ध को ध्यान मुद्रा में दर्शाया गया है, जो शांति और ज्ञान का प्रतीक है। इस प्रतिमा के चारों ओर एक सुंदर उद्यान है, जो आगंतुकों के लिए एक शांत वातावरण प्रदान करता है। यहां जानिए भारत के 5 सबसे बड़े स्टैच्यू।
तिब्बती मठ
तिब्बती मठ को कर्मा मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर तिब्बती बौद्धों के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थल है और तिब्बती कला, संस्कृति और धार्मिक प्रथाओं को प्रदर्शित करता है। यह एक खूबसूरत जगह है, जिसमें मैत्रेय बुद्ध मूर्ति के साथ एक बड़ा प्रार्थना कक्ष शामिल है और यह तिब्बती बौद्ध शिक्षाओं और प्रथाओं का केंद्र है। यहां जानिए बिहार के अन्य पर्यटन स्थल।