अरविंद केजरीवाल को नहीं मिली सुप्रीम कोर्ट से तत्काल राहत, बुधवार तक करना होगा इंतजार
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट में न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार 26 जून तक इंतजार करने को कहा है। पीठ ने कहा कि मंगलवार तक हाई कोर्ट के फैसले की प्रति आ जाएगी, उसके बाद फैसला लिया जाएगा। पीठ ने हाई कोर्ट के ऐसे मामलों में फैसला सुरक्षित रखने पर भी चिंता जताई।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की सुनवाई पर चिंता जताई
लाइव लॉ के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में पीठ ने सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट द्वारा फैसले को सुरक्षित रखे जाने पर भी आश्चर्य व्यक्ति किया। पीठ ने इसे असामान्य बताते हुए कहा कि सामान्य तौर पर स्थगन आदेश सुनवाई के बाद तुरंत ही पारित कर दिए जाते हैं, उनको सुरक्षित नहीं रखा जाता है। पीठ ने कहा कि वह हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार करते हुए इस मामले पर पूर्व निर्णय नहीं लेना चाहते।
20 जून को निचली कोर्ट से मिली थी राहत
20 जून को ही केजरीवाल को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिली थी। उन्होंने 1 लाख रुपये के मुचलके पर राहत दी थी। सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कहा था कि उसे जमानत के विरोध में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए 48 घंटों का समय चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने एजेंसी की ये मांग खारिज कर दी थी। कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी को पक्षपाती बताया था और मुख्यमंत्री की जमानत को मंजूर किया था।
अगले दिन दिल्ली हाई कोर्ट ने लगा दी थी रोक
निचली कोर्ट से राहत मिलने के बाद केजरीवाल के छूटने के आसार थे, लेकिन ED ने 21 जून को दिल्ली हाई कोर्ट में निचली कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर कर दी। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने उसी दिन मामले पर सुनवाई करते हुए जमानत के आदेश पर रोक लगाने के लिए ED की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने कहा कि आदेश आने तक जमानत स्थगित रहेगी, जिसके बाद केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
केजरीवाल को 2 बार मिल चुकी है जमानत
ED ने 21 मार्च को केजरीवाल को उनके घर से गिरफ्तार किया था। पहले 11 दिन वह ED की हिरासत में रहे और 1 अप्रैल को कोर्ट ने उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया। 10 मई को जेल से बाहर आने से पहले तक 50 दिन तिहाड़ जेल में बंद रहे। जमानत के दौरान उन्होंने चुनाव प्रचार किया और 2 जून को आत्मसमर्पण कर दिया था। यह केजरीवाल को दूसरी बार जमानत मिली थी।
क्या है शराब नीति मामला?
दिल्ली सरकार ने नवंबर, 2021 में नई शराब नीति लागू की थी। इसमें शराब के ठेके निजी शराब कंपनियों को दिए गए थे। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस नीति में भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए इसकी CBI से जांच कराने की सिफारिश की। बाद में ED भी जांच में शामिल हो गई। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने शराब कंपनियों से रिश्वत लेकर उन्हें नीति के जरिए लाभ पहुंचाया और शराब के ठेके दिए।