#NewsBytesExplainer: चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धांधली का आरोप क्यों लग रहा है?
30 जनवरी को हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर खूब विवाद हो रहा है। यहां कम वोट मिलने के बावजूद भाजपा प्रत्याशी मनोज सोनकर की जीत हुई है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के गठबंधन को ज्यादा वोट मिलने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा है। मामला आरोप-प्रत्यारोप से बढ़कर हाई कोर्ट तक पहुंच गया है। आइए जानते हैं कि चुनावों में आखिर हुआ क्या।
सबसे पहले जानिए निगम में पार्टियों के समीकरण
बता दें कि चंडीगढ़ की नगर निगम में कुल 35 सीटें हैं। फिलहाल निगम में भाजपा के 14 और शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है। दूसरी ओर AAP के पास 13 और कांग्रेस के पास 7 पार्षद हैं। यानी कांग्रेस-AAP के पास 20 और भाजपा के पास 15 पार्षदों का समर्थन था। चंडीगढ़ की सांसद भी इन चुनावों में वोट कर सकती हैं, जो फिलहाल भाजपा की हैं, जिसके बाद भाजपा का आंकड़ा 16 हो जाता है।
क्या रहे चुनावी नतीजे?
चुनाव में भाजपा को 16 वोट मिले, जबकि AAP और कांग्रेस को 20 वोट मिले। हालांकि, पीठासीन अधिकारी ने गठबंधन को मिले 8 वोटों को अमान्य करार दिया। इसके बाद AAP-कांग्रेस को मिले वोटों की संख्या 12 हो गई और भाजपा ने 4 वोटों से चुनाव जीत लिया। गठबंधन के जो वोट अमान्य करार दिए गए, उनको लेकर भी कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई गई। अगर ये वोट अमान्य घोषित किए जाते तो AAP-कांग्रेस प्रत्याशी की जीत तय थी।
चुनावों पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
पीठासीन अधिकारी का कहना है कि चुनाव पर्ची पर कुछ लिखा हुआ या निशान बना था, इस वजह से 8 वोट अमान्य घोषित किए गए। हालांकि, चुनाव प्रक्रिया के दौरान के जो वीडियो सामने आए हैं, उनमें देखा जा सकता है कि पीठासीन अधिकारी मतपत्रों पर कुछ लिखते दिख रहे हैं। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि पीठासीन अधिकारी ने ही मतपत्रों पर निशान बनाए और जानबूझकर उन्हें आमान्य करार दिया गया।
मामले पर विपक्ष का क्या कहना है?
AAP सांसद राघव चड्ढा ने कहा, "पीठासीन अधिकारी ने देशद्रोह किया है, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। मुकदमा चलना चाहिए। हम शिकायत करेंगे, उनकी गिरफ़्तारी की मांग करेंगे।" पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, ''कुछ दिन पहले हमने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया था। अब चुनावों में संविधान को कुचल दिया गया है। मैं ये कहूंगा कि भाजपा ने मेयर चुनाव में लूटपाट की है।" राहुल गांधी ने भी चुनावों को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है।
मामले पर पीठासीन अधिकारी का क्या कहना है?
पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने कहा, "चुनाव प्रक्रिया काफी शांति से चल रही थी। हमारे पास एक सांसद को मिलाकर 36 वोट थे। AAP और कांग्रेस के पार्षदों ने मतपत्रों पर निशान होने की चिंता जताई। हमने उनकी बात मानते हुए 11 नए मतपत्र जारी कर दिए। मतदान के बाद मैंने पोलिंग एजेंट से मतपत्र चेक करने को कहा, लेकिन वे पेपर चेक करने की बजाय कूद पड़े। उन्होंने बैलेट पेपर पर कब्जा कर लिया, उसे फाड़ दिया।"
मामले को हाई कोर्ट लेकर गई AAP-कांग्रेस
मामले के खिलाफ AAP-कांग्रेस ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का रुख किया था, जिस पर आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम को नोटिस जारी कर 3 हफ्तों के भीतर रिपोर्ट मांगी है। ये याचिका AAP के मेयर प्रत्याशी कुलदीप कुमार ने दायर की थी। उन्होंने धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाते हुए चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर के चुनाव की प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की है।
पहले टाल दिए गए थे चुनाव
पहले चंडीगढ़ मेयर के चुनाव 18 जनवरी को होने थे, लेकिन ऐन वक्त पर पीठासीन अधिकारी ने बीमारी का हवाला देते हुए उपस्थित रहने से इनकार कर दिया था। इसके बाद चुनाव टाल दिए गए और चंडीगढ़ के उपायुक्त ने कहा कि अब चुनाव 6 फरवरी को होंगे। इसे लेकर AAP-कांग्रेस ने हाई कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद कोर्ट ने चुनावों को 30 जनवरी को कराने का आदेश दिया था।