अमेरिका की USAID पर रोक से भारत के किन कार्यक्रमों पर पड़ सकता है असर?
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालने के साथ ही अमेरिकी विदेशी सहायता का पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गठन करने के लिए यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के कोष को फ्रीज कर दिया।
इससे अमेरिका द्वारा विदेश में चलाए जा रहे विभिन्न सहायता कार्यक्रमों को अगले 90 दिनों तक बजट नहीं मिल पाएगा।
इसका भारत सहित कई देशों पर सीधा प्रभाव देखने को मिल सकता है। आइए जानते हैं कि इससे भारत में कौन-से कार्यक्रम प्रभावित होंगे।
समर्थन
मस्क ने किया ट्रंप प्रशासन के निर्णय का समर्थन
USAID ने भारत में परियोजनाएं क्रियान्वित करने वाले संगठनों को परिचालन स्थगित करने का निर्देश दिया है।
इधर, राष्ट्रपति ट्रंप के सलाहकार और सरकारी दक्षता विभाग के प्रमुख बने टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने ट्रंप प्रशासन के निर्णय का समर्थन करते हुए USAID को 'आपराधिक संगठन' करार दिया है।
उन्होंने USAID की वेबसाइट बंद कर दी और शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया। उन्होंने विदेश मंत्री मार्को रुबियो को इसका कार्यकारी प्रशासक भी बना दिया है।
सवाल
USAID क्या है और कैसे काम करता है?
USAID अमेरिकी सरकार की फीड द फ्यूचर, ग्लोबल हेल्थ और ग्लोबल क्लाइमेट चेंज पहलों के माध्यम से अहम चुनौतियों के समाधान के लिए विभिन्न देशों की सरकार के साथ मिलकर काम करता है।
यह दुनिया भर के विभिन्न देशों में लगभग 10,000 लोगों को रोजगार देता है और इसका वार्षिक बजट अरबों में है।
कांग्रेस हर साल USAID के वित्तपोषण को मंजूरी देती है, जिसके बाद USAID कांग्रेस और व्हाइट हाउस के साथ मिलकर निवेश प्राथमिकताएं तय करती है।
वितरण
USAID कैसे करता है बजट का वितरण?
USAID की निवेश प्राथमिकताएं राज्य विभाग के विदेश नीति निर्देशों के अनुसार होती है। इसके बाद वह अनुदान, अनुबंध और सहकारी समझौतों के माध्यम से देशों को बजट का वितरण करता है।
वित्त वर्ष 2023 में USAID ने 40 अरब डॉलर (करीब 3.44 लाख करोड़ रुपये) से अधिक का प्रबंधन किया था, जो राज्य विभाग, विदेशी संचालन और संबंधित कार्यक्रमों के लिए आवंटित कुल बजट का एक तिहाई से भी अधिक हिस्सा रहा है।
इतिहास
भारत में कैसा रहा है USAID का इतिहास?
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने साल 1951 में भारत आपातकालीन खाद्य सहायता अधिनियम पर हस्ताक्षर करने के साथ भारत के विकास का समर्थन करना शुरू किया था।
दशकों से USAID की भूमिका खाद्य सहायता से लेकर बुनियादी ढांचे के विकास, क्षमता निर्माण और आर्थिक सुधारों तक विकसित हो गया है।
1970 के दशक के अंत तक परियोजनाओं का विस्तार ग्रामीण विद्युतीकरण, उर्वरक संवर्धन, मलेरिया नियंत्रण, स्वास्थ्य कार्यक्रम और सिंचाई कार्यक्रमों तक हो गया।
जानकारी
1980 के दशक में भारत में ऐसे हुआ विस्तार
1980 के दशक के मध्य तक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नीति सुधारों पर ध्यान केन्द्रित हो गया। इसी तरह कृषि अनुसंधान, जैव-चिकित्सा, जल प्रबंधन और परिवार नियोजन को समर्थन मिला और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ संस्थागत क्षमता निर्माण पर जोर दिया गया।
प्रभाव
USAID पर रोक से भारत में प्रभावित होंगे ये कार्यक्रम
ऊर्जा: USAID भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों को उच्च प्रदर्शन, कम उत्सर्जन, ऊर्जा सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को बदलने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
इसमें स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच में सुधार और भारत के ऊर्जा बाजार में निवेश के अवसरों का विस्तार किया जाता है।
USAID और भारत का ऊर्जा कार्यक्रम दक्षिण एशिया क्षेत्र पर केंद्रित है और अमेरिकी सरकार की हिंद-प्रशांत ऊर्जा पहल का समर्थन करता है। अब इन परियोजनाओं का काम अटक सकता है।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर होगा बड़ा असर
USAID पर रोक से भारत में इसकी मदद से चल रहे स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रभावित होंगे।
भारत में USAID के स्वास्थ्य कार्यक्रमों का लक्ष्य सालाना 20 लाख मौतों को रोकना है, जिससे देश की मृत्यु दर में कमी आ सके।
वर्तमान में भारत को कई स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें उच्च मातृ एवं शिशु मृत्यु दर, व्यापक कुपोषण, तपेदिक (टीबी), HIV और गरीबी का बोझ शामिल है। ऐसे में ये सभी कार्यक्रम प्रभावित हो सकते हैं।
अन्य
जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर भी असर
USAID भारत के साथ स्वच्छ जल और स्वच्छता तक पहुंच में सुधार करके स्वस्थ शहरी समुदायों को बढ़ावा देने पर काम करता है। ये प्रयास जल और विकास रणनीति के अनुरूप हैं।
भारत की लगभग 30 प्रतिशत आबादी 14 वर्ष से कम की है, इसलिए आर्थिक विकास और जीवन की बेहतर गुणवत्ता की अपार संभावनाएं हैं।
हालांकि, 40 प्रतिशत आबादी अभी भी 8वीं के बाद पढ़ाई छोड़ रही है। ऐसे में इनमें सुधार से जुड़े कार्यक्रम भी प्रभावित होंगे।
प्रभाव
अन्य देशों पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
USAID के भंग होने का असर सबसे ज्यादा उप-सहारा अफ्रीका पर होगा। वहां बारूदी सुरंगों को खत्म करने, इबोला के प्रसार को रोकने और HIV कार्यक्रम बंद हो जाएंगे।
इसी तरह लैटिन अमेरिका पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। मेक्सिको में दक्षिणी मेक्सिको में प्रवासियों के लिए एक व्यस्त आश्रय स्थल से डॉक्टर हटा दिए गए हैं और वेनेजुएला से भाग रहे समलैंगिक युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य सहायता देने वाले कार्यक्रम को भी बंद कर दिया गया है।