अफगानिस्तान पर आठ देशों की 'दिल्ली घोषणा', आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न होने देने पर जोर
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने आज अफगानिस्तान के मुद्दे पर सात अन्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ अहम बैठक की। बैठक में तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की बदलती स्थिति पर चर्चा हुई और सभी देशों ने मिलकर 'अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा' नाम से बयान जारी किया। बयान में अफगानिस्तान की भूमि को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न करने देने समेत आठ बिंदुओं पर जोर दिया गया है।
शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान चाहते हैं सभी देश- बयान
बयान के अनुसार, बैठक में सभी देशों ने शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान के प्रति समर्थन जाहिर किया, वहीं इसकी संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने और इसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने पर जोर दिया। बैठक में सुरक्षा सलाहकारों ने सुरक्षा स्थिति के कारण अफगानिस्तान के लोगों को रहे कष्टों पर गहरी चिंता जाहिर की और कुदुंज कंधार और काबुल में हुए बम धमाकों की आलोचना की।
"आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल"
बैठक में सुरक्षा सलाहकारों ने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल किसी भी आतंकी गतिविधि के लिए नहीं होना चाहिए। उन्होंने सभी आतंकी गतिविधियों की कड़े शब्दों में निंदा की और अफगानिस्तान को वैश्विक आतंकवाद का सुरक्षित गढ़ न बनने देने के लिए कदम उठाने पर प्रतिबद्धता जाहिर की। बैठक में कट्टरपंथ, अलगाववाद, उग्रवाद और मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ एकजुट सहयोग का आह्वान भी किया गया।
सुरक्षा सलाहकार बोले- अफगानिस्तान को समावेशी सरकार की जरूरत
बैठक में अफगानिस्तान के सभी लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक समावेशी सरकार के गठन की जरूरत पर भी जोर दिया गया जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल हों। अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र (UN) के प्रस्तावों की प्रासंगिकता को मद्देनजर रखते हुए सुरक्षा सलाहकारों ने कहा कि UN की अफगानिस्तान में एक केंद्रीय भूमिका है। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
डोभाल बोले- हमें अधिक समन्वय के साथ आगे बढ़ने की जरूरत
इससे पहले बैठक की शुरूआत में अजित डोभाल ने आपसी सहयोग पर जोर देते हुए कहा, "यह एक ऐसा समय है जब हमें अफगानिस्तान के मुद्दे पर अधिक सहयोग और समन्वय के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। अफगानिस्तान का विकास न केवल वहां के लोगों के लिए बल्कि उसके पड़ोसी मुल्कों और लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है।" उन्होंने उम्मीद जताई कि ये बैठक अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
बैठक में शामिल हुए ये देश
बैठक में शामिल होने वाले देशों की बात करें तो भारत के अलावा इसमें रूस, ईरान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हुए। भारत ने पाकिस्तान और चीन को भी बैठक का न्यौता भेजा था, लेकिन उन्होंने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया। पाकिस्तान ने कहा कि भारत अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में रोड़ा है, वहीं चीन ने शेड्यूल से जुड़ी परेशानियों के कारण बैठक में शामिल न होने की बात कही।