अयोध्या: 1949 में बाबरी मस्जिद में "प्रकट हुई" रामलला की पुरानी मूर्ति का अब क्या होगा?
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन बेहद भव्य तरीके से हो गया और कर्नाटक की श्याम शिला से बने रामलला गर्भगृह में विराजित हो गए। इस बीच सवाल उठ रहा है कि 1949 में "प्रकट हुई" और तंबू में विराजमान रामलला की पुरानी मूर्ति का क्या होगा? NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, पुरानी मूर्ति को भी गर्भगृह में रामलला के समीप सिंहासन पर विराजित किया जाएगा। इसकी भी नित्य पूजा और आरती होगी और भोग लगाया जाएगा।
कुछ अनुष्ठानों के बाद पुजारी गर्भगृह में स्थापित करेंगे पुरानी मूर्ति
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि जो मूर्ति बनाई गई है, वह तो मंदिर में है, साथ में अस्थायी मंदिर में जो मूर्ति है, वह भी गर्भगृह में रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि मंदिर में रामलला की एक खड़ी मूर्ति होगी और एक मूर्ति वह होगी, जो 1949 में प्रकट हुई थी। मिश्रा ने बताया कि दोनों मूर्तियां सिंहासन पर होंगी, मंदिर के पुजारी कुछ अनुष्ठानों के बाद भगवान को अस्थायी तंबू से मंदिर में लाएंगे।
क्या है तंबू की मूर्ति का इतिहास?
अयोध्या में बाबरी मस्जिद के अंदर 22 जनवरी, 1949 को अचानक रात में रहस्यमयी तरीके से रामलला की मूर्ति "प्रकट हुई" थी। इन्हें तत्कालीन अधिकारी ने पुजारी की मदद से वहां रखवाया था। इसके बाद विवाद छिड़ गया और धार्मिक भावनाएं भड़क उठीं। इस बीच 6 दिसंबर, 1992 में जब गुंबद ढहाया गया तो मूर्तियों को परिसर में ही अस्थायी तंबू बनाकर वहां रखा गया। तब से तंबू में रामलला विराजमान की नियमित तौर पर पूजा और आरती होती थी।