
क्या है तमिलनाडु का पोलाची यौन शोषण मामला, जिसमें सभी 9 दोषियों को मिला आजीवन कारावास?
क्या है खबर?
तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में स्थित पोलाची में घटित 6 साल पुराने यौन शोषण मामले में बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया है।
कोयंबटूर की एक महिला विशेष अदालत ने मामले के सभी 9 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी है।
कोर्ट ने दोषियों को आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और जबरन वसूली समेत कई आरोपों में सजा सुनाई गई है।
आइए 6 साल पुराना यह पूरा मामला जानते हैं।
सजा
कोर्ट ने मामले में इन दोषियों को सुनाई सजा
न्यायाधीश आर नंदिनी देवी ने आरोपी सबरीराजन उर्फ रिश्वंत (32), थिरुनावुकरसु (34), टी वसंत कुमार (30), एम सतीश (33), आर मणि उर्फ मणिवन्नन, पी बाबू (33), हारून पॉल (32), अरुलानन्थम (39) और अरुण कुमार (33) को मामले में दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
बता दें कि इस मामले में पुलिस ने सभी 9 आरोपियों को साल 2019 में ही गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद से मामले में लगातार सुनवाई चल रही थी।
प्रकरण
क्या है यौन शोषण का पूरा मामला?
यहा मामला साल 2019 में उस समय सामने आया था, जब एक पीड़ित ने चोरी की शिकायत दर्ज कराई थी।
इसकी जांच हुई तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ, जिसमें पता चला कि यह एक यौन शोषण से जुड़े संगठित गिरोह का मामला है।
यह गिरोह महिलाओं से पहले दोस्ती करता था और फिर जाल में फंसाकर उनका यौन शोषण करता था।
आरोपी यौन शोषण का वीडियो बनाकर महिलाओं को बार-बार ब्लैकमेल भी करते थे। इससे लोगों में रोष फैल गया।
जांच
विरोध के बाद CBI को सौंपी जांच
शुरुआत में इस मामले की जांच कोयंबटूर पुलिस की अपराध शाखा ने की और उसने शुरुआती जांच के बाद आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया था, लेकिन धीमी कार्रवाई से लोगों में रोष पैदा हो गया।
इस दौरान यौन शोषण से जुड़े कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर आ गए। इसके बाद तत्कालीन सत्तारूढ़ AIADMK सरकार पर राजनीतिक दबाव बढ़ गया।
इसको देखते हुए सरकार ने तत्काल मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी।
गवाह
CBI ने पेश किए 50 गवाह और 400 डिजिटल सबूत
CBI ने जांच हाथ में लेने के बाद अपराध के पूरे तरीके को समझा और उसके बाद एक-एक कर आरोपियों के खिलाफ 50 गवाह तैयार कर लिए। सभी ने कोर्ट में जाकर दोषियों के खिलाफ गवाही दी।
इसी तरह CBI ने मामले से जुड़े 400 डिजिटल सबूत भी पेश किया, जिनमें दोषियों द्वारा बनाए गए प्रताड़ित महिलाओं के वीडियो भी शामिल थे। बड़ी बात यह रही कि 48 गवाहों ने बचाव पक्ष की पूछताछ में भी अपना बयान नहीं बदला।
मांग
CBI ने की थी अधिकतम सजा की मांग
CBI के विशेष लोक अभियोजक सुरेंद्र मोहन बताया कि गवाहों के बयान और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों ने आरोपों को साबित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही कारण रहा कि कोर्ट ने सुबह पहले सभी आरोपियों को दोषी करार दे दिया।
इसके बाद उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट से दोषियों को अधिकतम सजा देने ओर पीड़िताओं को मुआवजा दिलाने की मांग की थी। कोर्ट ने आराेपियों की कम उम्र के आधार पर थोड़ी नरमी बरती है।