अमित शाह का एमके स्टालिन को तीखा जवाब, जानिए भाषा को लेकर क्या है ताजा विवाद
क्या है खबर?
तमिलनाडु में सालों से चला आ रहा भाषा विवाद आज भी जारी है। वर्तमान में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन हिंदी थोपने और परिसीमन अभ्यास को लेकर लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
हाल ही में उन्होंने केंद्र पर गैर हिंदी भाषीय राज्यों पर जबरन हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर भी सवाल खड़े किए हैं।
शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन पर तीखा हमला बोला है। आइए पूरा विवाद जानते हैं।
आरोप
स्टालिन ने क्या लगाया था आरोप?
शाह के तमिलनाडु दौरे से पहले स्टालिन ने कहा कि NEP में तीन भाषाओं का फॉर्मूला राज्य में हंसी का पात्र बन गया है।
उन्होंने कहा, "इतिहास स्पष्ट है। जिन्होंने तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की कोशिश की, वे या तो हार गए या बाद में उन्होंने अपना रुख बदल लिया और DMK के साथ गठबंधन कर लिया। तमिलनाडु ब्रिटिश उपनिवेशवाद की जगह हिंदी उपनिवेशवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।"
उन्होंने NEP को तमिलनाडु की भाषाई पहचान के लिए खतरा बताया है।
दावा
NEP के लक्ष्य को लेकर क्या बोले स्टालिन?
स्टालिन ने कहा, "तमिलनाडु वह पहले ही हासिल कर चुका है, जिसका लक्ष्य NEP ने 2030 तक रखा था। ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे कि LKG का स्टूडेंट किसी Phd होल्डर को लेक्चर दे रहा हो। द्रविड़म दिल्ली से निर्देश नहीं लेते हैं। वह राष्ट्र के लिए कुछ ऐसा उदाहरण सेट करते हैं, जिसे दूसरे फॉलो कर सकें।"
उन्होंने कहा, "NEP में 3 भाषा फॉर्मूले के लिए भाजपा का सर्कस जैसा हस्ताक्षर अभियान मजाक बन गया है।"
जवाब
शाह ने स्टालिन को दिया करारा जवाब
रानीपेट के थक्कोलम में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के 56वें स्थापना दिवस पर गृह मंत्री शाह ने कहा, "मैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से ये अपील करना चाहता हूं कि वे जल्द से जल्द तमिल भाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू करने की दिशा में कदम उठाएं।"
उन्होंने दावा कि स्टालिन ने इस मामले में पर्याप्त काम किया ही नहीं, जबकि केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय भाषाओं को समायोजित करने के लिए रिक्रूटमेंट पॉलिसी में बदलाव किए हैं।
उदाहरण
शाह ने दिया CISF का उदाहरण
शाह ने कहा, "अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि CISF अभ्यर्थी अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा दे सकें। परीक्षा तमिल में भी दी जा सके।"
राज्य की संस्कृति की सराहना करते हुए शाह ने कहा, "चाहे प्रशासनिक सुधार हो, आध्यात्मिक ऊंचाइयों को प्राप्त करना हो, शिक्षा हो या राष्ट्र की एकता और अखंडता हो, तमिलनाडु ने भारत की सांस्कृतिक धारा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।"
जिम्मेदार
स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को ठहराया विवाद का जिम्मेदार
स्टालिन ने कहा, "यह भाषाई विवाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की टिप्पणी से भड़का है। उन्होंने ही चिट्ठी लिखकर हमें उकसाया, जबकि हम बस अपना काम कर रहे थे। उन्होंने राज्य को हिंदी थोपने के लिए धमकाया। अब वह एक ऐसी लड़ाई को फिर से शुरू करने का परिणाम भुगत रहे हैं, जिसे वह कभी जीत ही नहीं सकते। तमिलनाडु आत्मसमर्पण करने के लिए ब्लैकमेल नहीं होगा।"
उन्होंने भाजपा को 2026 चुनाव का एजेंडा बताने की भी चुनौती दी।
स्पष्ट
शिक्षा मंत्री ने स्टालिन के बयान को बताया था राजनीतिक
हाल ही में शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा था कि NEP राज्यों में हिंदी नहीं थोपेगी और आरोप लगाया कि तमिलनाडु के विरोध के पीछे राजनीतिक कारण हैं।
उन्होंने कहा, "हमने NEP 2020 में कभी नहीं कहा कि केवल हिंदी होगी। हमने यह कहा है कि शिक्षा मातृभाषा पर आधारित होगी, तमिलनाडु में यह तमिल होगी। मैं कुछ लोगों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का जवाब नहीं देना चाहता। कुछ लोग राजनीति चमकाने के लिए ही NEP का विरोध कर रहे हैं।"