छत्तीसगढ़ पत्रकार हत्याकांड: मुकेश चंद्राकर की हुई थी दर्दनाक हत्या, जानिए क्या कहती है पोस्टमार्टम रिपोर्ट
क्या है खबर?
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुई पत्रकार मुकेश चंद्रकार (33) की हत्या का मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर हैदराबाद से दबोचा जा चुका है। इसके साथ ही मुकेश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी सामने आ गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, मुकेश की दर्दनाक हत्या की गई थी। उसके सिर में कई फ्रैक्चर होने, पसलियों के टूटने और लीवर के कई टुकड़े होने की पुष्टि हुई है।
ऐसे में आइए इस जघन्य हत्याकांड से जुड़ी हर एक जानकारी पर नजर डालते हैं।
रिपोर्ट
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या हुआ खुलासा?
इंडिया टुडे के अनुसार, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया है कि हत्या से पहले मुकेश को तड़पाया गया था। आरोपियों ने उसके सिर पर कुल्हाड़ी से करीब 15 वार किए और उसकी 5 पसलियों के कई टुकड़े कर दिए।
इसी तरह मुकेश की गर्दन भी टूटी हुई थी, लीवर के 4 टुकड़े थे और हृदय भी फटा हुआ और बाहर निकला मिला है। इसका मतलब है कि आरोपियों ने उसके पेट और सीने पर भी धारदात हथियार से हमला किया था।
जानकारी
शव देकर चौंक गए डॉक्टर
मुकेश का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर शव देखकर पूरी तरह चौंक गए। उनका कहना था कि 12 साल के करियर में उन्होंने इतनी विभत्स हत्या का कोई मामला नहीं देखा है। शरीर की हालत देखकर साफ पता चलता है कि उसे कितनी यातना मिली होगी।
परिचय
कौन थे पत्रकार मुकेश चंद्राकर?
पत्रकार मुकेश का जन्म 1991 में बस्तर जिले की बीजापुर तहसील के बासागुड़ा गांव में हुआ था। 2 साल की उम्र में ही उनके पिता की मौत हो गई थी।
उनकी मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता थीं और उन्होंने मुकेश और बड़े बेटे युकेश का पालन-पोषण किया था। 2011 में मुकेश की मां की कैंसर से मौत हो गई थी।
मुकेश 'बस्तर जंक्शन' नाम से यूट्यूट चैनल (1.65 लाख सब्सक्राइबर) चलाने के साथ NDTV के लिए स्वतंत्र पत्रकारिता भी करते थे।
प्रभाव
बस्तर में पत्रकारिता का बड़ा नाम थे मुकेश
मुकेश बस्तर में पत्रकारिता का बड़ा नाम बन गए थे। वह अपने यूट्यूब चैनल के जरिए स्थानीय खबरों को लोगों के सामने लाते थे। इसी तरह स्वतंत्र पत्रकारिता में भी उन्होंने कई बड़े मामलों को उजागर किया था।
वह राज्य में चर्चा केंद्र उस समय बने थे जब 2021 में उन्होंने नक्सलियों के कब्जे से CRPF कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मनहास को छुड़ाने के लिए जंगलों में कदम रखा था और बाइक पर उन्हें सुरक्षित वापस लेकर आए थे।
दुश्मनी
आरोपियों के निशाने पर कैसे आए मुकेश?
दरअसल, बीजापुर में गंगालूर से नेलासनार गांव तक एक सड़क बनाई गई थी। इस सड़क के निर्माण पर कुल 120 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
इसके बाद भी सड़क की हालत बड़ी दयनीय हो रही थी। इस सड़क का निर्माण आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने किया था।
मुकेश ने इस सड़क की जांच कर एक रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए निर्माण में हुए भ्रष्टाचार को उजागर किया था। इस पर सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।
धमकी
रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद मुकेश को मिली थी धमकी
मुकेश के बड़े भाई युकेश के अनुसार, रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद उनके छोटे भाई को धमकी मिलना शुरू हो गया था। 1 जनवरी को उसके चचेरे भाई रितेश ने फोन कर मुकेश को ठेकेदार से बैठक के लिए बुलाया था। उसके बाद से ही मुकेश लापता हो गया।
युकेश ने बताया कि 2 जनवरी को उन्होंने पत्रकारों से बात करने के बाद पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करा दी थी। इसके बाद पुलिस मुकेश की तलाश में जुट गई थी।
वारदात
आरोपियों ने दिया वारदात को अंजाम
पुलिस ने बताया कि अब तक की पूछताछ में सामने आया है कि मुकेश के ठेकेदार सुरेश के पास पहुंचने के बाद आरोपियों ने उसे बंधक बना लिया। इसके बाद उसकी बेरहमी से पिटाई की गई और फिर धारदार कुल्हाड़ी से कई वार कर उसकी विभत्स हत्या कर दी।
आरोपियों ने मामले को दबाने के लिए मुकेश के क्षत-विक्षत शव को अपने परिसर में बने सेफ्टिक टैंक में डालकर उसे ऊपर से कंक्रीट और सीमेंट से पैक करवा दिया।
खुलासा
कैसे हुआ वारदात का खुलासा?
पुलिस ने बताया कि गुमशुदगी की रिपोर्ट के बाद मुकेश के मोबाइल फोन की अंतिम लोकेशन की जांच शुरू की गई। यह आरोपी सुरेश द्वारा श्रमिकों के लिए बनाए गए मकान पर मिली।
इसके बाद पुलिस ने वहां पहुंचकर जांच शुरू की तो वहां सेप्टिक टैंक पर ताजा काम नजर आया। इसके बाद पुलिस ने सेप्टिक टैंक को खुलवाकर उसे खाली कराया तो उसमें मुकेश का फूला हुआ शव मिल गया। उसके सिर पर गहरा जख्म नजर आ रहा था।
जानकारी
पुलिस ने अब तक क्या की कार्रवाई?
पुलिस ने मामले में रविवार शाम को हैदराबाद से मुख्य आरोपी सुरेश को गिरफ्तार कर लिया है। वह अपने चालक के घर छिपा था। इसी तरह पुलिस मुकेश के चचेरे भाई रितेश, ठेकेदार महेंद्र रामटेके और रिश्तेदार दिनेश चंद्राकर को पहले गिरफ्तार कर चुकी है।
आंकड़े
डराने वाले हैं पत्रकारों के खिलाफ हिंसा के आंकड़े
मुकेश पहले पत्रकार नहीं हैं, जिन्हें सच दिखाने की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी है।
इंडिया फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन इनिशिएटिव की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में पूरे भारत में 5 पत्रकारों की हत्या हुई थी और करीब 226 पत्रकारों को निशाना बनाया गया। इसमें उत्तर प्रदेश में 2, महाराष्ट्र, असम और बिहार में एक-एक पत्रकार की हत्या हुई।
इससे पहले साल 2022 में देशभर में 94 पत्रकारों को निशाना बनाया गया और 8 पत्रकारों की हत्या हुई।