रेलवे का 'कवच' सिस्टम क्या है और यह कैसे काम करता है?
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और CEO अनिल कुमार लाहोटी ने रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (RDSO) द्वारा विकसित स्वदेशी स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम 'कवच' के कामकाज का निरीक्षण किया। दक्षिण मध्य रेलवे स्थापना के समय से ही कवच के विकास और इसे रेल नेटवर्क पर बड़े पैमाने पर तैनात करने से जुड़ा हुआ है। अनिल लोहाटी ने कवच से लैस लोकोमोटिव में यात्रा की। आइये जानते हैं कि भारतीय रेलवे का कवच सिस्टम क्या है।
कवच के ये सिस्टम किए गए चेक
लाहोटी ने कवच से लैस लोकोमोटिव में यात्रा की और देखा कि लूप लाइनों से गुजरते समय सिस्टम ऑटोमैटिक रूप से ट्रेन की स्पीड को कैसे कंट्रोल करता है, फाटकों से गुजरते समय ट्रेन ऑटोमैटिक रूप से सीटी बजाती है और खतरे (लाल) वाले सिग्नल से गुजरते समय सिस्टम ट्रेन को कैसे रोकता है। उन्होंने यह भी देखा कि सिस्टम ट्रेन की आमने-सामने या पीछे की टक्कर से बचने में कैसे मदद करता है।
स्वदेशी निर्मित सुरक्षा प्रणाली है कवच
कवच ट्रेन को टक्कर से बचाने के लिए स्वदेशी निर्मित सुरक्षा प्रणाली है। यह ट्रेन की स्पीड में सुधार के साथ ही दुर्घटनाओं पर कंट्रोल करेगा। जब ट्रेन के लोकोपायलट किसी दुर्घटना के दौरान ट्रेन की स्पीड को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं तो उस समय भी ये कवच सिस्टम बिना इंसानी मदद के ट्रेन में ऑटोमैटिक तरीके से ब्रेक लगाने का काम करता है। ये टेक्नोलॉजी रेलवे को शून्य दुर्घटनाओं के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी।
कवच के लिए इंजन और पटरी में लगते हैं उपकरण
कवच SIL4 (सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल-4) नामक उच्चतम स्तर की सुरक्षा और विश्वसनीय मानक का पालन करता है। कवच प्रणाली की घोषणा 2022 के बजट में आत्मनिर्भर भारत पहल के एक भाग के रूप में की गई थी। यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) उपकरणों का एक सेट है, जो लोकोमोटिव और सिग्नल सिस्टम के साथ-साथ पटरियों में भी लगाया जाता है। ये अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए एक-दूसरे से जुड़ते हैं और ड्राइवरों को सतर्क करते हैं।
जरूरत पड़ने पर ऑटोमैटिक घटा देता है ट्रेन की स्पीड
इसमें सिग्नलिंग इनपुट को इकट्ठा करने के लिए स्थिर उपकरण भी शामिल होते हैं और ट्रेन के चालक दल और स्टेशनों के साथ बिना किसी बाधा वाले संचार को सक्षम करने के लिए उन्हें एक केंद्रीय प्रणाली में रिले किया जाता है। लूप लाइन को पार करते समय कवच ऑटोमैटिक रूप से इंजन की स्पीड को घटा देता है। रेड सिग्नल होने पर कवच इंजन को आने नहीं बढ़ने देता है।
कवच के तहत आएगा 34,000 किलोमीटर नेटवर्क
आत्मनिर्भर भारत के एक हिस्से के रूप में 2022-23 में सुरक्षा और क्षमता वृद्धि के लिए 2,000 किलोमीटर नेटवर्क को कवच के तहत लाया जाना है और भारतीय रेलवे के कुल लगभग 34,000 किलोमीटर नेटवर्क को कवच के तहत लाया जाएगा। दक्षिण मध्य रेलवे ने 1,465 रेल किमी में कवच को पहले ही चालू करके इस सुविधा को अपनाने में अग्रणी रहा है। इसे नागरसोल-नांदेड़-धर्माबाद-निजामाबाद-सिकंदराबाद-कुरनूल सिटी-डोन-गुंटकल खंड के साथ परभणी-लातूर-बीदर सहित अन्य खंडों में इसे तैनात किया गया है।