ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत रोकने की रिपोर्ट का भारत ने किया खंडन
भारत ने ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर हो रही बातचीत रोकने से संबंधित मीडिया रिपोर्ट का खंडन किया है। भारत सरकार का कहना है कि ये सब बातें निराधार हैं। दरअसल, ब्रिटेन के एक अखबार की रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले महीने लंदन में भारतीय दूतावास पर खालिस्तान समर्थकों के हमले के बाद भारत ने ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत रोक दी है।
रिपोर्ट में क्या कहा गया था?
द टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लंदन स्थित भारतीय दूतावास पर खालिस्तान समर्थकों के हमले को रोकने में ब्रिटेन सरकार नाकाम साबित हुई थी और इस दौरान हमलावरों ने भारतीय ध्वज का अपमान किया था। रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना की भारत के विदेश मंत्रालय ने कड़ी निंदा की थी और ब्रिटिश सरकार की ओर से कोई कार्रवाई न होने के कारण भारत ने ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत रोक दी है।
रिपोर्ट में और क्या लिखा है?
द टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में आगे लिखा कि भारत सरकार चाहती है कि ब्रिटिश सरकार खालिस्तानी उग्रवाद की सार्वजनिक तौर पर निंदा करे, इसलिए भारत ने मुक्त व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत को रोक दिया है। इस समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के बढ़ने की संभावना थी। हालांकि, आधिकारिक तौर पर भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को लेकर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है।
दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर हो रही बातचीत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर पिछले 18 महीनों से बातचीत जारी है। माना जा रहा है कि 2023 में यह बातचीत पूरी हो जाएगी, जिसके बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगे। भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि 26 में 14 विषयों पर बातचीत पूरी हो चुकी है, जबकि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी उम्मीद जताई थी कि जल्द ही इस व्यापार समझौते को पूरा कर लिया जाएगा।
लंदन में क्या हुआ था?
पंजाब में खालिस्तान समर्थकों पर हुई कार्रवाई के विरोध में खालिस्तानी तत्वों ने 19 मार्च को लंदन स्थित भारतीय दूतावास परिसर के सामने प्रदर्शन किया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने परिसर में लगे तिरंगे को उतारने की कोशिश की, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस घटना के बाद भारत सरकार ने दिल्ली में ब्रिटेन के वरिष्ठतम राजनयिक को तलब किया था और भारतीय दूतावास में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।