देश में कोरोना के बढ़ते मामले, लौटते लॉकडाउन और वैक्सीनेशन पर विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
देश में पिछले कुछ दिनों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेज हुई है। बीते दिन देशभर में 26,000 से ज्यादा लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई, जो इस साल एक दिन में मिले सबसे अधिक मरीज है। इनमें से 16,000 से अधिक मरीज केवल महाराष्ट्र में मिले। इन सबके बीच कई शहरों में लॉकडाउन फिर से लौट आया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या ये देश में महामारी की दूसरी लहर के संकेत हैं?
विशेषज्ञ इस स्थिति को कैसे देखते हैं?
महाराष्ट्र के स्टेट सर्विलांस ऑफिसर और महामारियों से जुड़ी बीमारियों पर नजर रखने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इंटिग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम के महाराष्ट्र इंचार्ज डॉ प्रदीप अवाटे का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि देश में दूसरी लहर आ गई है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा जिस रफ्तार और मात्रा में मामले बढ़ रहे हैं उसकी तुलना पहली लहर से की जा सकती है। महाराष्ट्र में यह तुलना और भी पुख्ता होती है।
पहली और दूसरी लहर में क्या फर्क है?
दोनों लहरों में अंतर बताते हुए डॉ अवाटे ने कहा कि अब फैल रहा वायरस पहले जितना खतरनाक नहीं है। अब मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही। पूरे देश में यही हाल है।
क्या लॉकडाउन इस समय सही कदम है?
लॉकडाउन के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में डॉ अवाटे ने कहा कि इस स्तर पर वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन सही रणनीति नहीं है। यह महामारी के शुरुआती दौर में महत्वपूर्ण होता है, जब इसके लिए तैयारी की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि अब सारी तैयारियों हो चुकी हैं तो लॉकडाउन की भूमिका बहुत थोड़ी रह जाती है, लेकिन इसके सामाजिक-आर्थिक साइड इफेक्ट्स बहुत बड़े होते हैं, जो वायरस से ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं।
इस स्थिति में क्या किया जाना बेहतर है?
उन्होंने कहा कि अब सर्विलांस पर जोर देने की जरूरत है। इसका मतलब है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग हो, संक्रमितों के संपर्कों को ट्रेस किया जाए, संक्रमितों पर नजर रखी जाए और नियमों का पालन किया जाए।
वैक्सीनेशन की क्या भूमिका रहने वाली है?
वैक्सीनेशन के बारे में डॉ अवाटे ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है। कई सर्वे में पता चला है कि अधिकतर स्थानों पर अभी तक 20-25 प्रतिशत लोग कोरोना की चपेट में आए हैं। ऐसे में अभी भी अधिकतर लोगों पर वायरस से संक्रमित होने का खतरा मंडरा रहा है। वैक्सीनेशन की मदद से लोगों में वायरस के प्रति इम्युनिटी बढ़ेगी, जिससे इस स्तर पर पहुंचा जा सकता है, जहां हर्ड इम्युनिटी अपनी भूमिका निभानी शुरू कर देगी।
चरणबद्ध तरीके से क्यों हो रहा वैक्सीनेशन?
जब डॉ अवाटे से पूछा गया कि चरणबद्ध तरीके से वैक्सीनेशन क्यों हो रहा है तो उन्होंने कहा कि अभी सावधानी बरतने की जरूरत है। इस पर नजर रखना जरूरी है कि जो लोग वैक्सीन ले रहे हैं उन पर कैसे प्रभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि अभी वैक्सीन लेने के बाद हर प्रतिकूल असर की घटना पर नजर रखी जा रही है और उसकी जांच हो रही है। यह काफी पेचीदा प्रक्रिया है, जिसमें काफी समय लगता है।
क्या वैक्सीनेट हो चुके लोगों को ऐहतियात बरतने होंगे?
डॉ अवाटे ने कहा कि कोई भी वैक्सीन 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं होती और कोरोना वैक्सीन भी नहीं है। इसका मतलब यह है कि वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमण का खतरा रहता है, भले ही इसकी आशंका कितनी भी कम हो जाए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक और अनिश्चितता है। अभी यह नहीं पता है कि वैक्सीन से कितने समय तक इम्युनिटी रहती है। इसलिए वैक्सीनेशन के बाद भी ऐहतियात बरतने की सलाह दी जाती है।
देश में महामारी और वैक्सीनेशन की क्या स्थिति?
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 26,294 नए मामले सामने आए और 118 मरीजों की मौत हुई है। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 1,13,85,339 हो गई है। इनमें से 1,58,725 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। वहीं देश में चल रहे वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 2,99,08,038 खुराकें दी जा चुकी हैं। बीते दिन 1,40,880 लोगों को वैक्सीन लगाई गई।