ईरान ने करवाया था दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहर बम धमाका- रिपोर्ट
क्या है खबर?
जनवरी में दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहर हुए बम धमाके में ईरान का हाथ था और उसने एक स्थानीय शिया मॉड्यूल के जरिए इस धमाके को अंजाम दिया था।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की सुरक्षा एजेंसियों की जांच में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सही समय आने पर भारत सरकार इस मुद्दे को ईरान सरकार के सामने उठा सकती है और इस पर आपत्ति दर्ज करा सकती है।
धमाका
29 जनवरी को इजरायली दूतावास के सामने हुआ था छोटा धमाका
दिल्ली में 29 जनवरी को इजरायली दूतावास के बाहर एक छोटा बम धमाका हुआ था। इसमें किसी को कोई नुकसान तो नहीं आया, लेकिन इतने हाई प्रोफाइल इलाके में धमाका होना सवाल खड़े करने वाला था।
भारतीय एजेंसियों को धमाके के पास से एक पत्र भी बरामद हुआ था जिसमें इजरायल के राजदूत रोन मल्का को आतंकवादी कहा गया था।
इसमें ईरानी कुर्द बलों के प्रमुख कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने की बात भी कही गई थी।
साजिश
इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने करवाय था धमाका- अधिकारी
इस पत्र की जांच करने पर किसी ईरानी शख्स के इसे लिखने की बात सामने आई थी और तभी से मामले में ईरान का हाथ होने की आशंका जताई जा रही थी।
मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के अनुसार, यह धमाका ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स द्वारा इजरायल के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का एक हिस्सा था।
अधिकारियों के अनुसार, बम को कम शक्तिशाली इसलिए बनाया गया क्योंकि ईरान भारत को नाखुश नहीं करना चाहता था।
झूठे सबूत
फर्जी साइबर सबूत छोड़ ईरान ने की थी इस्लामिक स्टेट पर दोष मढ़ने की कोशिश
अधिकारियों के अनुसार, ईरान ने धमाके से पहले और धमाके के बाद अफगानिस्तान में कुछ झूठे साइबर सबूत भी छोड़े थे ताकि खुद को बचाया जा सके और किसी और पर इस धमाके का दोष मढ़ा जा सके।
ईरान ने इन झूठे सबूतों के जरिए आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट को फंसाने की कोशिश की थी, लेकिन वह इस चाल में कामयाब नहीं हो पाया।
एजेंसियों के अनुसार, यह दिखाता है कि ईरान ने धमाके से पहले विस्तृत योजना बनाई थी।
प्रतिक्रिया
मित्र देश के ऐसे कदम से अपमानित महसूस कर रही भारत सरकार
रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार इस बात से अपमानित महसूस कर रही है कि उसके मित्र देश ईरान ने छद्म युद्ध लड़ने के लिए उसकी राजधानी का उपयोग किया और सरकार हमले में शामिल स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी के बाद मामले को ईरानी सरकार के सामने उठा सकती है।
इस धमाके का महत्व और असर इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि भारत सरकार तमाम अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद ईरान से अपनी मित्रता निभाती रही है और कारोबार बरकरार रखा है।
जानकारी
2012 में हुए ऐसे ही हमले पर मनमोहन सरकार ने दिखाई थी सख्ती
इससे पहले जब फरवरी, 2012 में ईरानी एजेंटों ने इजरायल के एक अधिकारी की पत्नी पर हमला करवाया था, तब मनमोहन सरकार ने न केवल ईरानी राजनयिकों को वापस भेजने की धमकी दी थी, बल्कि उसके साथ राजनयिक रिश्तों को डाउनग्रेड कर दिया था।