अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुनवाई पूरी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।
आज मामलेे पर नियमित सुनवाई का 40वां दिन था। सभी पक्षों को अपनी दलीलें रखने का समय दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने लिखित हलफनामा, मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लिखित में जमा करने के लिए तीन दिन का समय दिया है।
माना जा रहा है कि अगले एक महीने में कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है।
जानकारी
तीनों पक्षों ने रखी दलीलें
सुनवाई के दौरान मामले से जुड़े तीन पक्षों, निर्मोही अखाड़ा, राम लला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड, ने अपनी दलीलें रखीं। सभी पक्षों ने जमीन पर मालिकाना हक और उसके भगवान राम का जन्मस्थान होने या न होने समेत कई बिंदुओं पर दलीलें पेश कीं।
ट्विटर पोस्ट
ANI ने दी जानकारी
Arguments conclude in the #AyodhyaCase , Supreme Court reserves the order. pic.twitter.com/74JQXGj7r7
— ANI (@ANI) October 16, 2019
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23 दिनों में सुनाया जाएगा फैसला- हिंदू महासभा के वकील
सुनवाई खत्म होने के बाद हिंदू महासभा के वकील वरुण सिन्हा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 23 दिनों में फैसला सुनाने की बात कहते हुए इसे सुरक्षित रख लिया है।
सुनवाई
मुस्लिम पक्ष के वकील ने फाड़ा नक्शा
सुनवाई के 40वें दिन दलीलें देते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील ने हिंदू पक्ष की तरफ से दिए गए एक नक्शे को फाड़ दिया।
इसके बाद दोनों पक्षों में नोकझोक हुई। यह इतनी बढ़ गई कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को प्रतिक्रिया देनी पड़ी।
उन्होंने कहा, "हम ऐसे सुनवाई को जारी नहीं रख सकते। लोग खड़े हो रहे हैं और बिना बारी के बोल रहे हैं। हम भी अभी खड़े हो सकते हैं और कार्यवाही को खत्म कर सकते हैं।"
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कोर्ट ने नहीं सुनी सुब्रमण्यम स्वामी की दलीलें
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की दलीलें सुनने से मना कर दिया। लंच के बाद कोर्च ने कहा कि यह कल ही स्पष्ट कर दिया गया था कि इस मामले में किसी और अर्जी को नहीं सुना जाएगा।
दलील
मुस्लिम पक्ष ने अंतिम दिन दी यह दलील
दलील देते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को जो इमारत गिराई गई, वह मुस्लिमों की संपत्ति थी।
आजतक के मुताबिक, धवन ने कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को जो नष्ट हुआ, वह मुस्लिम पक्ष की संपत्ति थी। वक्फ संपत्ति का मतवल्ली ही रखरखाव का जिम्मेदार होता है, उसे बोर्ड नियुक्त करता है।
धवन ने कहा कि अयोध्या को अवध या औध लिखा गया है, जिसकी जांच सरकार के द्वारा की गई थी।
प्रतिक्रिया
कोर्ट ने सुनवाई के लिए नहीं दिया था अतिरिक्त समय
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले ही यह तय कर दिया था इस मामले की सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी कर ली जाएगी। मुख्य न्यायाधीश 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इसलिए एक महीने में फैसला सुनाया जाएगा।
इस मामले से जुड़े पक्षों ने दलीलें रखने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था। इस पर CJI गोगोई ने कहा था कि अब बहुत हो चुका है। मामले में किसी नई अर्जी को नहीं सुना जाएगा।
मध्यस्थता
सफल नहीं हुई थी मध्यस्थता की कोशिशें
राजनैतिक और सांप्रदायिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील इस मामले को कोर्ट से बाहर सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति बनाई थी।
पूर्व न्यायाधीश फकीर मोहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली इस समिति में 'आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल थे।
समिति ने कई महीनों तक विवाद के समाधान पर सभी पक्षों की आम राय बनाने का अंतिम प्रयास किया जो असफल रहा।
जानकारी
संवैधानिक पीठ कर रही थी सुनवाई
मध्यस्थता की कोशिशें खत्म होने के बाद 6 अगस्त से मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ इसकी सुनवाई कर रही थी। इसमें गोगोई के अलावा न्यायधीश एसए बोबड़े, न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायधीश अशोक भूषण और न्यायधीश एसए नजीर शामिल हैं।
विवाद
क्या है अयोध्या जमीन विवाद?
अयोध्या में 6 दिसंबर, 1992 को विवादित स्थल पर खड़ी बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था और मुख्य विवाद इससे संबंधित 2.77 एकड़ जमीन को लेकर है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में दिए अपने फैसले में विवादित भूमि को निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश और रामलला विराजमान के बीच तीन हिस्सों में बांट दिया था।
हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सभी पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थी।