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सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ दायर 75 याचिकाओं पर सुनवाई आज, क्या-क्या हैं दलीलें?
वक्फ विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ दायर 75 याचिकाओं पर सुनवाई आज, क्या-क्या हैं दलीलें?

लेखन गजेंद्र
Apr 16, 2025
09:09 am

क्या है खबर?

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024, जो अब कानून बन चुका है, उसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। विधेयक के संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद कई जगह विरोध शुरू हो गया है। पश्चिम बंगाल में इसके खिलाफ हिंसा देखने को मिली है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की 3 सदस्य पीठ कुल 73 याचिकाओं पर बुधवार दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगी।

पक्ष

किसने दायर की है वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाएं

वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), जनता दल यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), YSR कांग्रेस, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), समाजवादी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं समेत धार्मिक संगठन, जमीयत उलेमा हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी याचिकाएं लगाई हैं। भाजपा शासित उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, असम, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य इसके समर्थन में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

तर्क

कानून के पक्ष और खिलाफ में क्या हैं दलीलें?

कानून के खिलाफ याचिका दायर करने वालों ने इसे असंवैधानिक, मनमाना, भेदभावपूर्ण और मुसलमानों के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की है। कानून के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने 20 से अधिक दलीलें दी हैं। वहीं, सरकार का कहना है कि वक्फ कानून संपत्ति और प्रबंधन को लेकर है, इससे धार्मिक मामले में हस्तक्षेप नहीं हो रहा है। सरकार का कहना है कि उसने कानून बड़े वर्ग की सलाह के बाद बनाया है, जो सामाजिक सुधार के लिए है।

पास

संसद के दोनों सदनों में काफी हंगामे के बाद पारित हुआ था विधेयक

वक्फ विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा में काफी हंगामे के बीच मतदान के बाद पारित किया गया था। लोकसभा में विधेयक के समर्थन में 288 मत पड़े थे, जबकि 232 सांसदों ने इसका विरोध किया था। उच्च सदन राज्यसभा में इसके समर्थन में 128 सदस्यों ने वोट दिया था, जबकि 95 सांसद इसके विरोध में थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसे सरकार ने हाल में विधेयक को अधिसूचित किया है।