सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ लोकपाल के आदेश पर लगाई रोक
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल के उस हालिया आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि वह हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों पर विचार कर सकता है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान पीठ ने कहा कि यह बहुत ही परेशान करने वाली बात है।
बता दें कि लोकपाल के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था।
मामला
क्या है मामला?
दरअसल, 27 जनवरी को लोकपाल ने एक आदेश में कहा था कि हाई कोर्ट के जज लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 14 के दायरे में आते हैं। यानी हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों पर लोकपाल विचार कर सकता है।
लोकपाल ने एक हाई कोर्ट के जजों के खिलाफ 2 शिकायतों पर विचार करते हुए यह बात कही थी, जिसमें जज पर अन्य जज को प्रभावित करने का आरोप लगाया गया था।
आदेश
कोर्ट ने कहा- मामला न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए अहम
कोर्ट ने हाईकोर्ट के मौजूदा जज के खिलाफ शिकायतों पर विचार करने वाले लोकपाल के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्यवाही करने पर केंद्र को नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने शिकायतकर्ता को हाई कोर्ट के उस मौजूदा जज का नाम उजागर करने पर भी रोक लगाई है, जिनके खिलाफ उसने शिकायत दर्ज कराई थी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला न्यायपालिका की स्वतंत्रता से संबंधित अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
लोकपाल
लोकपाल ने अपने आदेश में क्या कहा था?
लोकपाल ने कहा था, "इस आदेश द्वारा हमने एक विलक्षण मुद्दे पर अंतिम रूप से निर्णय लिया है कि क्या संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित हाई कोर्ट के जज 2013 के अधिनियम की धारा 14 के दायरे में आते हैं। इसमें हमने आरोपों की योग्यता पर बिल्कुल भी गौर नहीं किया है।"
लोकपाल पीठ ने कहा था कि हाई कोर्ट के जज 'लोक सेवक' की परिभाषा को पूरा करते हैं और लोकपाल अधिनियम जजो को इससे बाहर नहीं करता।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
लोकपाल अधिनियम एक भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम है, जिसे 27 दिसंबर, 2011 को लोकसभा से पारित किया गया था।
16 जनवरी, 2014 से ये देशभर में लागू हुआ था।
इसका उद्देश्य लोकपाल और लोकायुक्त को स्थापित करना है और केंद्र और राज्यों में भ्रष्टाचार विरोधी रोडमैप प्रदान करना है। लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में प्रधानमंत्री, मंत्री, संसद सदस्य और समूह A, B, C, और D के अधिकारी और केंद्र सरकार के अधिकारी शामिल हैं।