उपराष्ट्रपति ने CBI निदेशक की नियुक्ति पर उठाए सवाल, कहा- इसमें CJI का क्या काम?
क्या है खबर?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कार्यकारी नियुक्तियों में मुख्य न्यायाधीश (CJI) के शामिल होने पर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि CJI केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के निदेशक या किसी अन्य कार्यकारी नियुक्ति के चयन में कैसे हिस्सा ले सकते हैं।
धनखड़ का ये बयान ऐसे वक्त आया है, जब 17 फरवरी को देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के चयन के लिए बैठक होना है।
धनखड़ भोपाल में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में छात्रों को संबोधित कर रहे थे।
बयान
क्या बोले धनखड़?
धनखड़ ने कहा, "भारत जैसे देश या किसी भी लोकतंत्र में CJI CBI निदेशक के चयन में कैसे भाग ले सकते हैं? क्या इसके लिए कोई कानूनी तर्क हो सकता है? इस तरह की प्रक्रिया इसलिए बनी थी, क्योंकि पहले की कार्यपालिका ने न्यायिक फैसले के आगे घुटने टेक दिए थे, लेकिन अब इन पर पुनर्विचार का दौर है। यह निश्चित रूप से लोकतंत्र के साथ मेल नहीं खाता। हम CJI को कार्यकारी नियुक्तियों में कैसे शामिल कर सकते हैं?"
टिप्पणी
धनखड़ ने कहा- मैं मौजूदा स्थिति पर पुनर्विचार चाहता हूं
उपराष्ट्रपति ने कहा, "हमारा संविधान देश की सुप्रीम कोर्ट को संविधान की व्याख्या करने की अनुमति देता है, लेकिन व्याख्या के बहाने अधिकारों का हनन नहीं हो सकता। कोर्ट की सार्वजनिक उपस्थिति मुख्य रूप से निर्णयों के माध्यम से होनी चाहिए। निर्णय अपने आप में बोलते हैं। इनका वजन होता है। निर्णयों के अलावा कोई अन्य प्रकार की अभिव्यक्ति संस्थागत गरिमा को कमजोर करती है। मैं मौजूदा स्थिति पर पुनर्विचार चाहता हूं।"
CEC
अगले CEC के चयन के लिए 17 फरवरी को बैठक
अगले CEC के चयन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल की 3 सदस्यीय पैनल की बैठक होगी। इस मामले सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है, जिसमें इस तरह की नियुक्ति में पैनल में CJI को शामिल करने की मांग की गई है।
बता दें कि पहले CJI CEC के चयन के लिए बने पैनल का हिस्सा होते थे, लेकिन 2023 में कानून बदल दिए गए।
संसद
संसद में हंगामे पर भी बोले धनखड़
धनखड़ ने कहा, "संविधान सभा ने लोकतंत्र के लिए जो उच्च मानक तय किए थे, वे आज कमजोर पड़ रहे हैं। हम लोकतंत्र के मंदिरों (संसद) में हंगामा और बाधाएं कैसे स्वीकार कर सकते हैं? जनता के प्रतिनिधियों को अपने संवैधानिक जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए। राष्ट्रीय हित को दलगत राजनीति से ऊपर रखना चाहिए और टकराव के बजाय सहमति का मार्ग अपनाना चाहिए।"
उपराष्ट्रपति ने मूल संरचना सिद्धांत पर चल रही बहस पर भी बात की।