उत्तर प्रदेश: नमक-रोटी खाते बच्चों का वीडियो बनाना पत्रकार को पड़ा भारी, सरकार ने किया केस
एक पत्रकार को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में नमक के साथ रोटी खाते हुए बच्चों का वीडियो बनाना भारी पड़ गया है। राज्य प्रशासन ने उस पर उत्तर प्रदेश सरकार की छवि खराब करने की साजिश करने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है। शिकायत में ग्राम प्रधान के एक प्रतिनिधि का नाम भी शामिल है। पूरा मामला क्या है, आइए आपको बताते हैं।
पिछले महीने वायरल हुआ था वीडियो
घटना का वीडियो पिछले महीने वायरल हुआ था। इसमें मिर्जापुर के सरकारी स्कूल में केंद्र सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत बच्चों को नमक के साथ रोटी खाते हुए देखा जा सकता है। वीडियो पवन जायसवाल नामक पत्रकार ने रिकॉर्ड किया था।
देखें कैसे मिड-डे मील के नाम पर हो रहा धोखा
FIR में कहा गया, रिपोर्टर को बुलाने की बजाय सब्जी की व्यवस्था करनी चाहिए थी
अब इलाके के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने यूपी सरकार को बदनाम करने की साजिश करने का आरोप लगाते हुए जायसवाल और ग्राम प्रधान के एक प्रतिनिधि के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। तीन पेज की FIR में कहा गया है कि जिस दिन वीडियो बनाया गया उस दिन स्कूल में केवल रोटी बनीं थीं और प्रधान के प्रतिनिधि को एक रिपोर्टर को बुलाने की बजाय सब्जियों की व्यवस्था करनी चाहिए थी।
शिकायत में आरोप, वीडियो वायरल होने से हुई सरकार की बदनामी
FIR के अनुसार, जायसवाल ने वीडियो बनाने के बाद इसे समाचार एजेंसी ANI को भेज दिया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इससे राज्य सरकार की बदनामी हुई। उन पर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मुकदमा दर्ज किया गया है।
शिकायत सरकार की पहली प्रतिक्रिया के विपरीत
जायसवाल के खिलाफ दर्ज कराई गई ये शिकायत राज्य सरकार के उस बयान के विपरीत है, जो उसने वीडियो सामने आने के बाद जारी किया था। मिर्जापुर के शीर्ष सरकारी अधिकारी अनुराग पटेल ने तब NDTV से कहा था, "मैंने मामले में जांच के आदेश दिए और घटना को सही पाया। प्रथमदृष्टया इसमें स्कूल के इनचार्ज शिक्षक और ग्राम पंचायत के सुपरवाइजर का दोष पाया गया है। दोनों को निलंबित कर दिया गया है।"
मिड-डे मील में बच्चों को 450 कैलोरी देना अनिवार्य
बता दें कि मिड-डे मील केंद्र सरकार की एक अहम योजना है और इसमें स्कूली बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाता है। योजना के अनुसार, हर बच्चे को रोजाना 450 कैलोरी देना आवश्यक है और इसमें हर दिन का खाना इसी प्रकार से तय किया गया है। बच्चों को रोजाना 12 ग्राम प्रोटीन देने का भी प्रावधान है। मिड-डे मील योजना के तहत स्कूली बच्चों को कम से कम 200 दिन खाना देना अनिवार्य है।
मिर्जापुर में स्थिति बेहद खराब
लेकिन मिर्जापुर के इस स्कूल में ऐसा कुछ नहीं हो रहा था। वीडियो बनाने के एक दिन बाद जायसवाल को एक छात्र के माता-पिता ने बताया था, "यहां चीजें खराब हैं। कभी वो बच्चों को नमक के साथ रोटियां खिलाते हैं, कभी नमक के साथ चावल। यहां दूध कभी-कभार ही आता है और उसमें से भी ज्यादातर हिस्से को बांटा नहीं जाता। केले कभी नहीं बांटे जाते। एक साल से सब ऐसा ही चल रहा है।"