गजब! देश की सबसे बड़ी FIR, पांच दिन से लिख रहे हैं पुलिसवाले
क्या है खबर?
आमतौर पर लोग अपनी परेशानी या शिकायत लेकर पुलिस के पास जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि पुलिस को भी कोई चीज़ परेशान कर सकती है।
तो आपको बता दें कि ऐसा हुआ है उत्तराखंड के काशीपुर कोतवाली में। पुलिस की परेशानी की वजह कोई अपराधी नहीं, बल्कि एक रिपोर्ट है।
एक ऐसी रिपोर्ट, जिसे लिखते-लिखते पुलिसवाले परेशान हो गए हैं। समय बीतता जा रहा है, लेकिन रिर्पोट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही।
रिर्पोट
अटल आयुष्मान योजना के मामले से जुड़ी है FIR
देश के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी FIR लिखी जा रही है। इस रिर्पोट को लिखते-लिखते पांच दिन तो बीत गए हैं, लेकिन अभी दो दिन और लगेंगे।
दरसअल, यह रिर्पोट अटल आयुष्मान योजना के मामले से जुड़ी हुई है।
इस योजना के अंतर्गत आने वाले दो बड़े अस्पतालों पर घोटले के आरोप लगे हैं।
जिसके तहत यह रिर्पोट हिंदी व अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में लिखी जा रही है। जिसने पुलिसवालों के पसीने छुटा दिए हैं।
जानकारी
हाथों से लिखी जा रही है रिपोर्ट
पुलिस के FIR टाइप करने वाले कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की क्षमता 10 हजार शब्दों से अधिक नहीं होती, इसलिए इसे हाथों से लिखा जा रहा है। थाने के चार मुंशी लगातार इसे पूरा करने में लगे हुए हैं।
मामला
आखिर क्या हैं आरोप?
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इस योजना के तहत एमपी अस्पताल और देवकी नंदन अस्पताल में भारी अनियमितताएं सामने लाईं हैं।
जांच के दौरान दोनों अस्पतालों के संचालकों द्वारा रोगियों से फर्जी इलाज के बिलों का क्लेम वसूलने का मामला सामने आया है, जो कि नियमों के खिलाफ है।
इसके अलावा एमपी अस्पताल में रोगियों के डिस्चार्ज होने के बाद भी मरीज कई-कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती दिखाए गए हैं।
जानकारी
बिना इलाज के वसूला क्लेम
ICU में भी क्षमता से ज्यादा रोगियों का इलाज दर्शाया गया। डायलिसिस केस को भी अस्पताल की क्षमता से कई गुना बढ़ा कर बताया गया। इसके अलावा कई मामलों में बिना इलाज किए भी क्लेम ले लिया गया, जिसकी जानकारी मरीजों को भी नहीं है।
जांच रिपोर्ट
एक शिकायत 64, तो दूसरी 24 पन्नों की
इस योजना के सहायक अधिकारी धनेश चंद्र की ओर से दोनों संचालकों के खिलाफ पुलिस को शिकायत सौंपी गई है। जिसमें एक शिकायत 64 पन्नों की है, तो दूसरी शिकायत 24 पन्नों की है।
एडिशनल एसपी जगदीश चंद्र ने कहा कि वास्तव में ये शिकायत जांच रिपोर्ट की मूल कॉपी है। लेकिन इससे छेड़छाड़ न हो इसलिए रिपोर्ट की नकल की जा रही है और इस रिपोर्ट का विवरण काफी लंबा है। जिसे लिखने में इतने दिन लग रहे हैं।