दिल्ली और महाराष्ट्र में तीसरी लहर का चरम पार होना बताना है जल्दबाजी- ICMR वैज्ञानिक
क्या है खबर?
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और महाराष्ट्र में अब कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों में लगातार कमी आ रही है। इसको देखते हुए कई चिकित्सा विशेषज्ञ वहां महामारी की तीसरी लहर का चरम पार होना बता रहे हैं।
इसी बीच भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ समीरन पांडा ने चौंकाने वाला बयान दिया है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में तीसरी लहर का चरम पार होना बताना अभी जल्दबाजी होगी।
बयान
तीसरी लहर के सामूहिक चरम की उम्मीद करना है गलत- डॉ पांडा
डॉ पांडा ने न्यूज 18 से कहा, "कुछ राज्यों और जिलों में कोरोना संक्रमण एक अलग गति से बढ़ रहा है और घट रहा है। ऐसे में यह कहना गलत होगा कि पूरे देश के लिए महामारी की तीसरी लहर का कोई सामूहिक चरम होगा।"
उन्होंने कहा, "स्थानीय डाटा अलग-अलग राज्यों में महामारी की अलग-अगल रफ्तार दिखा रहे हैं। ऐसे में सभी राज्यों में महामारी की तीसरी लहर का चरम भी अलग-अलग समय पर आएगा।"
दृष्टिकोण
देश को अपनाना होगा भिन्नता का दृष्टिकोण- पांडा
ICMR में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ पांडा ने कहा कि महामारी की तीसरी लरह के संदर्भ में भारत को भिन्नता का दृष्टिकोण अपनाना होगा। इसका कारण है कि हर राज्य में अगल स्थिति और अलग वातावरण है। ऐसे में सभी जगह पर महामारी के समान व्यवहार की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि यह कहना भी गलत होगा कि देश तीसरी लहर के चरम पर पहुंच रहा है या पहुंच चुका है।
समय
"तीन सप्ताह के बाद स्पष्ट होगी स्थिति"
दिल्ली और महाराष्ट्र में कम होते मामलों पर डॉ पांडा ने कहा, "दोनों राज्यों के विश्लेषण से पता चलता है यह प्रवृत्ति एक अस्थायी उतार-चढ़ाव भी हो सकती है। ऐसे में कम से कम तीन सप्ताह तक की प्रवृत्ति ही सटीक निष्कर्ष देगी।"
उन्होंने कहा, "हम अभी भी नहीं जानते हैं कि मुंबई और दिल्ली में कम होते मामले स्थाई या अस्थाई हैं। ऐसे में वहां तीसरी लहर के चरम पार होने पर भी कुछ नहीं कहा जा सकता है।"
स्पष्ट
अन्य बीमारियों के कारण अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं लोग- डॉ पांडा
डॉ पांडा ने कहा, "वर्तमान में लोग केवल ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण ही अस्पताल में भर्ती नहीं हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण के साथ लिवर सिरोसिस, क्रोनिक किडनी रोग या मधुमेह जैसी अन्य बीमारियों के कारण मरीज ऑक्सीजन या वेंटिलेटर पर हैं।"
उन्होंने कहा, "संक्रमण के साथ अन्य बीमारी होने के कारण ही लोगों को अस्पतालों में भर्ती होने की जरूरत हो रही है। ऐसे में ओमिक्रॉन को स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।"
आवश्यकता
"प्रत्येक 10 लाख लोगों पर किए जाने चाहिए 140 टेस्ट"
डॉ पांडा ने कहा, "विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार जनसंख्या की व्यापक निगरानी और परीक्षण के लिए प्रत्येक 10 लाख लोगों पर 140 कोरोना टेस्ट किए जाने चाहिए। राज्यों को इस डाटा के अनुसार ही टेस्टिंग करनी चाहिए। किसी भी राज्य के द्वारा टेस्टिंग में अनदेखी करने से महामारी के स्तर को पकड़ने में मदद नहीं मिलेगी।"
उन्होंने कहा, "राज्यों को होम टेस्टिंग किट के इस्तेमाल और परिणाम को अपलोड करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए।"
संक्रमण
दिल्ली और महाराष्ट्र में क्या है संक्रमण की स्थिति?
14 जनवरी को महाराष्ट्र में 89,000 से अधिक नए मामले सामने आए थे, जो भारत में ओमाइक्रोन संस्करण के आने के बाद अब तक के सबसे अधिक मामले हैं। हालांकि, 18 जनवरी को यह संख्या बड़ी गिरावट के साथ 39,000 पर पहुंच गई हैं।
इसी तरह दिल्ली ने 14 जनवरी को 24,000 से अधिक नए मामले सामने आए थे, लेकिन 19 जनवरी को यह संख्या 13,785 पर आ गई। ऐसे में यहां मामले लगातार कम हो रहे हैं।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)
बता दें कि दिल्ली में 12 जनवरी को संक्रमण के 28,867 नए मामले सामने आए थे जो महामारी की शुरूआत से अब तक शहर में एक दिन में सामने आए सबसे अधिक मामले थे। उस दिन शहर में 31 मरीजों की मौत हुई थी।