नूंह में बुलडोजर कार्रवाई पर हरियाणा सरकार का जवाब, जातीय नरसंहार के आरोपों को नकारा
हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को हाई कोर्ट के उस आरोप को खारिज कर दिया, जिसमें उसने पूछा था कि क्या हिंसा के बाद नूंह में बुलडोजर कार्रवाई के जरिए मुस्लिमों को निशाना बनाकर उनका 'जातीय नरसंहार' किया जा रहा है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की बेंच मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार द्वारा नूंह के मुस्लिम बहुल क्षेत्र में कथित अवैध निर्माण के खिलाफ चलाए जा रहे ध्वस्तीकरण अभियान पर रोक लगा दी थी।
क्या है मामला?
7 अगस्त को हाई कोर्ट की पीठ ने नूंह हिंसा के बाद मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार को ध्वस्तीकरण अभियान रोकने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा था, "क्या ध्वस्तीकरण अभियान में कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ और क्या कानून और व्यवस्था की आड़ में किसी विशेष समुदाय की इमारतों को बुलडोजर से गिराकर सरकार द्वारा 'जातीय नरसंहार' की कवायद की जा रही है?" कोर्ट ने सरकार से मामले में स्पष्टीकरण देने को कहा था।
हरियाणा सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?
आज कोर्ट में जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस जगमोहन बंसल की बेंच के समक्ष हरियाणा सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि हिंसा के बाद नूंह में अवैध इमारतों को गिराने में सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था। उन्होंने कोर्ट द्वारा समुदाय विशेष के 'जातीय नरसंहार' के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा मामले में सभी के साथ समान व्यवहार किया जा रहा है।
अब मामले में मुख्य न्यायाधीश की बेंच करेगी सुनवाई- अधिवक्ता
सरकार के अधिवक्ता सभरवाल ने बताया कि कोर्ट की बेंच यह कहते हुए मामले को स्थगित कर दिया कि हाई कोर्ट के नियमों के अनुसार इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की बेंच द्वारा की जानी है। उन्होंने कहा कि अभी कोई रोक न होने की स्थिति में सरकार अपना ध्वस्तीकरण अभियान जारी रख सकती है। बता दें कि मामले का स्वत: संज्ञान लेने वाली जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर की बेंच को बदला गया था।
सरकार ने क्यों की थी बुलडोजर कार्रवाई?
हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई को हिंदू संगठनों द्वारा निकाली गई ब्रजमंडल यात्रा के दौरान पथराव के बाद शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा में 6 लोगों की मौत हुई थी। हिंसा के बाद राज्य सरकार ने कथित आरोपियों द्वारा किये अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए बुलडोजर कार्रवाई की थी। इस अभियान में 100 से अधिक मकानों और 500 झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया गया। कोर्ट ने अभियान को एकतरफा बताते हुए इसे रोकने के निर्देश दिए थे।