सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा निकालने की सशर्त अनुमति दी
पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर चल रहा संशय सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरी तरह से खत्म हो गया है। यात्रा निकालने की अनुमति देने को लेकर दायर याचिका पर सोमावर को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की ठीम ने सशर्त यात्रा निकालने की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट से फैसले से भक्तों में खुशी की लहर है।
स्वास्थ्य को लेकर नहीं होना चाहिए कोई समझौता- सुप्रीम कोर्ट
मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रथ यात्रा के लिए स्वास्थ्य से किसी भी प्रकार समझौता नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यात्रा मंदिर समिति, राज्य और केंद्र सरकार के समन्वय के साथ आयोजित की जाएगी। पुरी के जिलाधीश बलवंत सिंह ने कहा कि कि रथयात्रा को लेकर श्रीक्षेत्र धाम पूरी तरह से तैयार है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना करते हुए ही रथयात्रा निकाली जाएगी।
राज्य सरकार को दी रथ यात्रा पर रोक लगाने की स्वतंत्रता
रथ यात्रा की निकालने की सशर्त अनुमति देने के साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि राज्य (ओडिशा) सरकार को लगता है कि राज्य में कोरोना मामले बढ़ रहे हैं और खतरा है तो वह यात्रा या उत्सव पर रोक लगा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सरकार ने दी यह दलील
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि पुरी में हर साल निकलने वाली 'भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा' की परंपरा सदियों पुरानी है। ऐसे में कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए बिना श्रद्धालुओं के इसे निकलने की अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह कोरोड़ों लोगों की आस्था का मामला है। भगवान जगन्नाथ यदि कल नहीं आएंगे तो परंपरा के अनुसार वह 12 वर्षों तक बाहर नहीं निकल सकते।
कोरोना महामारी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी को देखते हुए गत 18 जून के इस ऐतिहासिक रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि 'यदि हम रथ यात्रा की इजाजत देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।' इसके बाद 23 जून को निकाली जाने वाली यात्रा पर संकट के बादल छा गए थे। बता दें कि इस वार्षिक रथ यात्रा में शामिल होने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु जुटते हैं।
सुप्रीम में दायर की गई थीं चार पुनर्विचार याचिकाएं
बता दें कि सपु्रीम कोर्ट की ओर से यात्रा पर रोक लगाने के बाद बिना श्रद्धालुओं के यात्रा की अनुमति देने को लेकर चार पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिकाओं में कहा गया था कि जगन्नाथ यात्रा को केवल पुरी में निकालने की इजाज़त मिले। यह सदियों पुरानी परंपरा है औश्र इससे करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। उन्होंने 500-600 लोगों की मौजूदगी में ही रथ यात्रा निकालने की अनुमति देने की मांग की थी।
संबित पात्रा ने भी दायर की थी याचिका
पुरी जगन्नाथ यात्रा को लेकर भाजपा नेता संबित पात्रा ने भी याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि भगवान जगन्नाथ के उन 800 सेवायतों के माध्यम से भक्तों की मंडली के बिना ही रथयात्रा निकालने की अनुमति दी जा सकती है।