निर्भया केस: दोषी पवन की क्यूरेटिव याचिका खारिज, कल सुबह होगी चारों दोषियों को फांसी
क्या है खबर?
निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के चारों आरोपियों को फांसी के फंदे से बचाने के लिए उनका वकील आए दिन नई-नई तरकीब निकाल रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी कोई तरकीब काम नहीं कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दोषी पवन को झटका देते हुए उसकी उस क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपराध के समय नाबालिग होने की दलील दी थी।
ऐसे में अब चोरों दोषियों को शुक्रवार को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा।
दलील
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में याचिका को बताया आधारहीन
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एनवी रमना, अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन, आर बानुमति, अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की छह सदस्यीय पीठ ने शुक्रवार को बंद चैंबर में मामले की सुनवाई की और याचिका को पूरी तरह से आधारहीन बताया।
पीठ ने कहा कि मामले में पहले ट्रायल कोर्ट, फिर हाईकोर्ट और जुलाई 2018 में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट फैसला दे चुका है। इसलिए बार-बार इस मामले में याचिका नहीं ली जा सकती है।
जानकारी
इससे पहले भी खारिज हो चुकी है पवन की याचिका
आपको बता दें कि निर्भया के दोषियों में से पवन गुप्ता ने इससे पहले जनवरी में भी सुप्रीम कोर्ट में वारदात के समय नाबालिग होने की याचिका दायर की थी। उस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 20 जनवरी को उसे खारिज कर दिया था।
जिरह
याचिका पर सुनवाई के दौरान दोषी के वकील ने दिया यह तथ्य
सुनवाई में पवन की ओर से वकील एपी सिंह ने कहा था कि 2017 का जिला अंबेडकरनगर के स्कूल का दस्तावेज बताता है कि पवन की जन्म तारीख 8 अक्तूबर, 1996 है। दिल्ली पुलिस ने ये तथ्य जानबूझकर अदालत से छिपाया था। ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी इस तथ्य को नजरअंदाज किया। ये सब मीडिया और जनता के दबाव में किया गया था।
वहीं पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोपों को खारिज कर दिया।
नया हथकंडा
फांसी से बचने के लिए अपनाया नया हथकंडा
सुप्रीम कोर्ट की ओर से दोषी पवन की क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद अब चारो दोषियों ने फांसी से बचने के लिए नया हथकंडा अपनाया है।
दोषियों ने अपने वकील के जरिए पटियाला हाउस कोर्ट में एक नई याचिका दायर की है।
इस याचिका में दोषियों ने दलील दी है कि वर्तमान में पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैली हुई है। ऐसे में फांसी पर लटकाने के लिए यह समय सही नहीं है और इस पर रोक लगानी चाहिए।
दया याचिका
राष्ट्रपति ने दूसरी दया याचिका पर नहीं किया गौर
फांसी से बचने के लिए दोषी पवन और अक्षय ने राष्ट्रपति के यहां से अपनी दया याचिका खारिज होने के बाद फिर से दूसरी दया याचिका दायर की थी, लेकिन राष्ट्रपति नामनाथ कोविंद ने उस पर गौर नहीं किया है।
ऐसे में अब चारों दोषियों का फांसी के फंदे पर लटकना तय हो गया है। दोषियों ने अपनी दूसरी दया याचिका में कहा था कि उनकी याचिका पर मानवीय पहलू को देखते हुए ध्यान नहीं दिया गया था।
फांसी
तीन बार टल चुकी है फांसी
निर्भया के चारों दोषी तीन बार फांसी से बच चुके हैं। पटियाला हाउस कोर्ट ने सबसे पहले डेथ वारंट जारी कर 22 जनवरी को फांसी का दिन मुकर्रर किया था, लेकिन कानूनी अड़चनों से फांसी टल गई।
उसके बाद कोर्ट ने 1 फरवरी और फिर 3 मार्च को फांसी का दिन मुकर्रर किया, लेकिन दोषी फिर से फांसी से बच गए। इस बार कोर्ट ने फांसी के लिए 20 मार्च सुबह 05:30 बजे फांसी का समय तय किया है।
अभ्यास
जल्लाद पवन ने तिहाड़ जेल में किया फांसी देने का अभ्यास
तिहाड़ जेल में चारों दोषियों को फांसी दिए जाने को लेकर बुधवार को मेरठ निवासी जल्लाद पवन ने जेल पहुंचकर फांसी देने का अभ्यास किया।
पवन ने चारों दोषियों के वजन के बराबर के पुतलों को कई बार फंदे से लटकाया। इस दौरान उसने लीवन व फांसी तख्त का भी मुआयना किया।
आपको बता दें कि तिहाड़ जेल में पहली बार एकसाथ चार दोषियों को फांसी दी जाएगी। इसके लिए जेल में एक और फांसी का तख्त बनवाया गया है।
अंतिम मुलाकात
तीन दोषी कर चुके हैं अंतिम मुलाकात
फांसी को लेकर जेल प्रशासन ने भी सभी तैयारी पूरी कर ली है। जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को फांसी दिए जाने वाली सेल में शिफ्ट कर दिया है।
इसके अलावा उनकी परिजनों से अंतिम मुलाकात भी कराई जा रही है। अब तक दोषी पवन, विनय और मुकेश अपने परिजनों से अंतिम मुलाकात कर चुके हैं, हालांकि दोषी अक्षय ठाकुर ने अभी तक परिजनों से अंतिम मुलाकात नहीं की है।
संभवत: वह गुरुवार को मुलाकात कर सकता है।
मामला
क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्या मामला?
16 दिसंबर, 2012 की रात अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर लौट रही 23 वर्षीय निर्भया के साथ छह लोगों ने दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप किया था।
इलाज के दौरान निर्भया ने दम तोड़ दिया था। इस घटना के बाद देशभर में प्रदर्शन हुए थे। मामले में कुल छह आरोपी थे।
इनमें से एक नाबालिग था और एक ने जेल में आत्महत्या कर ली थी। बाकी बचे चारों दोषियों को 2013 में फांसी की सजा सुनाई गई थी।