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    इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर यादव के विवादित बयान का सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान
    इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश के बयान का सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

    इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर यादव के विवादित बयान का सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

    लेखन आबिद खान
    Dec 10, 2024
    04:02 pm

    क्या है खबर?

    इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस शेखर कुमार यादव के विवादित बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला विचाराधीन है और हाई कोर्ट से जानकारी मांगी गई है।

    इससे पहले कैंपेन फॉर ज्यूडीशियल अकाउंटैबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी।

    बता दें कि जस्टिस शेखर ने प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यक्रम में ये विवादित बयान दिया था।

    बयान

    जस्टिस शेखर ने कहा था- देश बहुसंख्यकों की इच्छा से चलेगा

    जस्टिश शेखर ने कहा था, "मुझे ये कहने में कोई झिझक नहीं है कि यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक लोगों की इच्छा के मुताबिक चलेगा। यही कानून है। आप यह भी नहीं कह सकते कि हाई कोर्ट के जज होकर ऐसा बोल रहे हैं। कानून तो बहुसंख्यक से ही चलता है। परिवार में भी देखिए, समाज में भी देखिए। जहां पर अधिक लोग होते हैं, जो कहते हैं उसी को माना जाता है।"

    विवादित टिप्पणी 

    जस्टिस शेखर ने मुस्लिमों पर की थी विवादित टिप्पणी

    जस्टिस शेखर ने कहा था, "जो कठमुल्ला हैं, शब्द गलत है, लेकिन कहने में गुरेज नहीं है, क्योंकि वो देश के लिए घातक हैं। जनता को बहकाने वाले लोग हैं। देश आगे न बढ़े इस प्रकार के लोग हैं। उनसे सावधान रहने की जरूरत है। देश एक है और एक संविधान है तो कानून क्यों नहीं है? देश के महापुरुषों का अनादर करने का अधिकार नहीं है। इस देश में हलाला, तीन तलाक नहीं चलने वाला है।"

    CJAR

    CJAR ने कहा- जस्टिस शेखर का आचरण संविधान का उल्लंघन

    CJAR ने CJI को पत्र लिखकर 'इन हाउस' जांच की मांग की है।

    CJAR ने लिखा, 'जस्टिस शेखर द्वारा मुस्लिम समुदाय के खिलााफ अपमानजनक और अस्वीकार्य शब्दों का इस्तेमाल उच्च न्यायालय के पद की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। यह आचरण संविधान के अनुच्छेद 12, 21, 25 और 26 के साथ प्रस्तावना का भी उल्लंघन करता है।"

    CJAR ने जस्टिस शेखर को तत्काल प्रभाव से न्यायिक कार्य से हटाने की मांग की थी।

    राजनीतिक घमासान 

    बयान पर हुआ था राजनीतिक घमासान 

    बयान पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा ने लिखा, 'VHP के कार्यक्रम में शामिल हुए हाई कोर्ट के मौजूदा जज, कहा- देश हिंदुओं के मुताबिक चलेगा और हम अपने संविधान के 75 वर्ष का जश्न मना रहे हैं! सुप्रीम कोर्ट, माननीय CJI- क्या किसी ने स्वतः संज्ञान लिया?'

    सांसद चंद्रशेखर आजाद ने लिखा, 'जस्टिस शेखर कुमार यादव का बयान न्यायिक गरिमा, संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और समाज में शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी का गंभीर उल्लंघन है।'

    परिचय

    कौन हैं जस्टिस शेखर कुमार यादव?

    जस्टिस शेखर ने 1988 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री ली और 1990 में वकालत शुरू की।

    BBC के मुताबिक, वे हाई कोर्ट में राज्य सरकार के अपर शासकीय अधिवक्ता और स्थायी अधिवक्ता के पद पर काम कर चुके हैं। दिसंबर, 2019 में उन्होंने अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और 26 मार्च, 2021 को हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने।

    2021 में उन्होंने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात कही थी।

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