नहीं बंद होंगे सरकारी वित्तपोषित मदरसे, सुप्रीम कोर्ट ने बाल आयोग के आदेश पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सरकारी वित्त पोषित मदरसों को बंद करने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। यह अंतरिम आदेश मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने मौलवियों के संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। कोर्ट ने आदेश दिया कि इस वर्ष 7 जून और 25 जून को जारी NCPCR के आदेश पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
क्या है मामला?
NCPCR ने 7 जून को उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून का अनुपालन न करने वाले मदरसों की मान्यता वापस ली जाए। इसके बाद 25 जून को NCPCR ने शिक्षा मंत्रालय के शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव को पत्र लिखकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को UDISE कोड के साथ मौजूदा मदरसों का निरीक्षण कर मानदंड का पालन न करने पर मान्यता लेने को कहा था।
NCPCR के आदेश के बाद राज्यों ने शुरू की थी कार्रवाई
लाइव लॉ के मुताबिक, NCPCR के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने 26 जून को सभी जिला अधिकारियों को निर्देश जारी कर सरकारी सहायता प्राप्त और मान्यता प्राप्त मदरसों की विस्तृत जांच करने और गैर-मुस्लिम छात्रों को सरकारी स्कूल में स्थानांतरित करने को कहा। इसके बाद त्रिपुरा सरकार ने भी 28 अगस्त को ऐसा निर्देश दिया। फिर 10 जुलाई को केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को NCPCR के निर्देशानुसार कार्रवाई करने के लिए लिखा।