आपातकाल के 48 साल: इंदिरा गांधी ने क्यों लगाया था आपातकाल, क्या थीं वजहें?
25 जून, 1975। आज से ठीक 48 साल पहले का वो दिन देश के लोकतांत्रिक इतिहास में काले अध्याय के तौर पर दर्ज है। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी, जो 21 महीनों तक जारी रहा। इस दौरान देश में नागरिकों के अधिकार कुचल दिए गए, मीडिया पर पाबंदी लगाई गई और विपक्षी पार्टियों के नेताओं को जबरन जेल में डाला गया। आज आपातकाल के पीछे की वजहों को जानते हैं।
आपातकाल से पहले देश में कैसा माहौल था?
आपातकाल की वजह समझने से पहले हमें उस समय का देश का माहौल समझना होगा। 70 के दशक के बाद से ही देश में अलग-अलग आंदोलन चल रहे थे। इसमें गुजरात का नवनिर्माण आंदोलन और जय प्रकाश नारायण का आंदोलन बेहद प्रमुख है। इसके अलावा देश आर्थिक तंगी से भी जूझ रहा था। लोग बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और भोजन की कमी जैसी परेशानियों से जूझ रहे थे। कई हिस्सों में दंगे और विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे थे।
क्या था गुजरात नवनिर्माण और जेपी का आंदोलन?
1973 में अहमदाबाद में एलडी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ हड़ताल पर चले गए थे। इसके महीनेभर बाद गुजरात विश्वविद्यालय के छात्रों ने राज्य की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया। उस वक्त चिमनभाई पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री थे। गुजरात की तरह ही बिहार में भी छात्र आंदोलन शुरू हुआ, जिसका नेतृत्व जयप्रकाश नारायण कर रहे थे। इसे सफल बनाने के लिए लगभग सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हो गई थीं।
रेलवे हड़ताल का भी हुआ असर
1974 में समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस के नेतृत्व में रेलवे की हड़ताल की घोषणा की गई थी, जो 3 हफ्ते तक चली। इससे करीब-करीब पूरे देश में रेल सेवाओं पर असर पड़ा। करीब 1 लाख रेलकर्मियों ने इस हड़ताल का सर्मथन किया था। इंदिरा ने इस आंदोलन को बलपूर्वक कुचलना चाहा। हजारों रेलवे कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। रेलकर्मियों के परिवारों को सरकारी रेलवे क्वार्टर से बाहर निकालने की भी खबरें आईं।
आपातकाल के पीछे क्या था तात्कालिक कारण?
आपातकाल लगाने के पीछे सबसे बड़ी वजह इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले को बताया जाता है। दरअसल, 1971 में देश में लोकसभा चुनाव हुए थे। इसमें रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राजनारायण को हराया था। राजनारायण ने चुनाव परिणामों को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी। इसके बाद 12 जून, 1975 को जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा का चुनाव निरस्त कर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी।
इंदिरा पर राजनारायण ने क्या आरोप लगाए थे?
राजनारायण ने इंदिरा पर चुनाव में धांधली, मतदाताओं को घूस देने और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग जैसे 14 आरोप लगाए गए थे। इंदिरा के खिलाफ साबित होने वाला पहला आरोप उनके इलेक्शन एजेंट यशपाल कपूर से जुड़ा हुआ था। दरअसल, कपूर प्रधानमंत्री सचिवालय में 'ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी' के तौर पर नियुक्त थे। इस पद से इस्तीफा देने से पहले उन्होंने इंदिरा के समर्थन में भाषण दिए, जिन्हें गैरकानूनी माना गया।
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गईं इंदिरा
हाई कोर्ट का फैसला आते ही विपक्षी पार्टियां इंदिरा पर हावी होने लगी थीं और उनके इस्तीफे की मांग जोर पकड़ती जा रही थी। इस बीच इंदिरा ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 24 जून को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, जिसमें कहा गया कि इंदिरा सदन की चर्चा में हिस्सा ले सकती हैं, लेकिन वोट डालने पर रोक जारी रहेगी। इंदिरा के लिए इस फैसले में मामूली राहत थी।
जेपी की रैली
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने विपक्षी पार्टियों का मनोबल बढ़ा दिया था। इस बीच जेपी ने 25 जून की शाम को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली आयोजित की और जोरदार भाषण दिया। उन्होंने पुलिस और सेना से भी सत्याग्रह में शामिल होने की अपील की और सरकार के आदेशों को न मानने को कहा। रैली के बाद इंदिरा ने सख्त फैसला लेते हुए 25 और 26 जून की आधी रात को आपातकाल की घोषणा कर दी।
आपातकाल के पीछे इंदिरा ने क्या कारण बताए थे?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आपातकाल लगाने के पीछे इंदिरा ने 3 कारण बताए थे। पहला- जेपी द्वारा शुरू किए गए आंदोलन की वजह से भारत की सुरक्षा और लोकतंत्र खतरे में है। दूसरा- देश में तेजी से आर्थिक विकास और पिछड़े वर्गों के उत्थान की जरूरत है। तीसरा- विदेशों से आने वाली शक्तियां भारत को अस्थिर और कमजोर कर सकती हैं। हालांकि, इन कारणों को बहाना मात्र बताया जाता है।